मौत का प्रदूषण,1200 करोड़ के बजट वाला निगम बांट रहा है बीमारियां

punjabkesari.in Monday, Jul 23, 2018 - 10:21 AM (IST)

लुधियाना (नितिन धीमान): लुधियाना में हर रोज करीब 750 एम.एल.डी. (मिलियन लीटर डेली) पानी बुड्ढे नाले के जरिए सतलुज में जाता है। निगम ने पानी साफ  करने के लिए जो 5 एस.टी.पी. लगा रखे हैं वे सारे अंडर कैपेसिटी हैं। ये प्लांट शहर के घरेलू व इंडस्ट्रीयल पानी को साफ  करके सतलुज तक ले जाने के लिए लगाए गए थे। ये पांचों प्लांट कुल 466 एम.एल.डी. पानी साफ  करने की क्षमता रखते हैं। यानी कि बाकी का बिना ट्रीट हुआ 284 एम.एल.डी. कैमीकलयुक्त पानी बुड्ढे नाले में जाकर उसे जहरीला बना रहा है। यही पानी साफ  किए हुए 466 एम.एल.डी. पानी में मिलकर सतलुज में जाकर खतरनाक बीमारियां फैला रहा है।

नगर निगम पांचों प्लांटों को चलाने के लिए हर साल करीब 22 करोड़ रुपए खर्च करता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो नगर निगम के अफसरों द्वारा बनाई गई कागजी योजना 22 करोड़ को भी हर साल पानी में बहा रही है। अगर पानी सतलुज तक पहुंचते-पहुंचते फिर से जहरीला बनना है तो प्लांट चलाने की जरूरत ही क्या है? ये प्लांट साल 2011-12 में चले थे।
 

यानी सात सालों में निगम ने 154 करोड़ रुपए बुड्ढे नाले में यह दिखाने के लिए बहा दिए कि निगम के अफसर एस.टी.पी. लगाकर आधुनिक तकनीक लुधियाना वासियों को देंगे ताकि पीने के लिए साफ  पानी मिले। निगम से रोजाना कुल डिस्चार्ज होने वाला पानी साफ  नहीं हो रहा तो लोग कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उन्हें पीने योग्य पानी मिलेगा। लोग आज भी साफ  पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। यानी नगर निगम का सारा सरकारी तंत्र पूरी तरह फेल हो चुका है।

1200 करोड़ के बजट वाला निगम बांट रहा बीमारियां
सालाना 1200 करोड़ रुपए के बजट वाला लुधियाना नगर निगम लोगों को सुविधाएं देने की बजाय कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां बांट कर उन्हें मौत के करीब पहुंचा रहा है। टैक्स देने के बाद भी लोग निगम के भ्रष्ट अधिकारियों के चलते डाक्टरों के पास लाखों-करोड़ों रुपए का महंगा इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं।

10 फुट से ज्यादा गहरा होता था बु्ड्ढा नाला

दशकों पुराना बुड्ढा नाला कभी 10 से 12 फुट गहरा होता था। आज वह गार भरने के चलते मात्र 4 से 5 फुट रह गया है। गार इस कदर भर चुकी है कि ड्रेग लेन मशीनें भी बंद हो गई हैं। शहर में इस वक्त सिंचाई विभाग की 5 मशीनें हैं, वे भी 1979 माडल की जो सिर्फ  दिखावे के लिए खड़ी हैं। 

कितनी कैपेसिटी का कहां लगा है प्लांट

*बलौके के पास 152 और 105 एम.एल.डी. के 2 प्लांट लगाए गए हैं। 
*भट्ठियां में भी 2 प्लांट 111 और 50 एम.एल.डी. के लगे हैं।
*जमालपुर में 48 एम.एल.डी. का एक प्लांट लगा है जो हमेशा ओवर फ्लो रहता है।

एस.टी.पी. को चलाने का कोई औचित्य नहीं, सिर्फ जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है : मेयर 
आज लुधियाना का हर व्यक्ति जानना चाहता है कि क्या बुड्ढा नाला कभी साफ  होगा? इस पर जब पंजाब केसरी की टीम ने नगर निगम के मेयर बलकार सिंह संधू से पूछा तो उन्होंने रोने धोने वाला राग अलापा कि निगम का खजाना खाली है। तो फिर क्या बुड्ढे नाले के प्रदूषण से लोगों को मरने दिया जाए? तो वह इस सवाल पर खामोश हो गए। उनसे जब पूछा गया कि पांचों एस.टी.पी. को चलाने का फायदा ही क्या है जब पानी साफ  होकर फिर ओवरफ्लो हो रहे गंदे पानी में जाकर मिलना  है तो उन्होंने माना कि इन प्लांटों को फिलहाल चलाने का कोई औचित्य नहीं है।

सिर्फ  जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है। परंतु इस संबंध में मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह से बातचीत हो चुकी है। इसका हल जल्द ही सामने आएगा। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या प्रदूषण फैलाने के जिम्मेदार अफसरों पर सरकार या निगम कोई कार्रवाई करेगा जिनके कारण लाखों लोग बीमार पड़े हैं तो वह हैरान-परेशान हो गए और कोई जवाब नहीं दे सके। यहां बता दें कि नगर निगम के पास बुड्ढे नाले को साफ  करने के लिए कोई पुख्ता योजना नहीं है।

अफसर रोजाना देखते हैं बुड्ढे नाले में जा रहा डाइंग इंडस्ट्री का गंदा पानी मगर...
जमालपुर में लगा 48 एम.एल.डी. का एस.टी.पी. रोजाना ओवरफ्लो होकर गंदा पानी बुड्ढे नाले में गिरा रहा है। यहां अंदाजन 100 एम.एल.डी. से ज्यादा पानी आता है। प्लांट के साथ ही एक छोटा सा नाला बना है जिसके जरिए बिना ट्रीट किया हुआ डाइंग इंडस्ट्री का पानी सीधे बुड्ढे नाले में जाता है। अफसर रोजाना देखते हैं कि गंदा पानी जा रहा है लेकिन किसी के दिमाग पर कोई बोझ नहीं। ‘पंजाब केसरी’ टीम ने ग्राऊंड पर जाकर जांच की तो देखा कि ताजपुर की कुछ डाइंग इंडस्ट्री ने तो जमीन के नीचे से पाइप सीधे बुड्ढïे नाले में डाले हुए हैं जिनसे बिना ट्रीट किया हुआ कैमीकल युक्त पानी सीधा बुड्ढे नाले केजरिए सतलुज में जा रहा है। इन्हें रोकने की जिम्मेदारी पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की है। इसके अफसर भी जेबें गर्म करके आंखें बंद करके बैठे हैं। 

इलैक्ट्रोप्लेटिंग इंडस्ट्री का पानी सबसे खतरनाक 
लुधियाना में करीब 1200 यूनिट इलैक्ट्रोप्लेटिंग करते हैं जिनका हर माह लगभग 2 करोड़ लीटर पानी हैवी मैटल से भरा होता है जिसे बिना ट्रीट किए सतलुज में नहीं डाला जा सकता। लेकिन इसमें से करीब 1.25 करोड़ लीटर पानी फोकल प्वाइंट में लगे प्लांट तक पहुंच कर साफ  होकर दोबारा इस्तेमाल हो रहा है और बाकी का पानी कहां जा रहा है इसकी जांच करने का समय भी बोर्ड अधिकारियों के पास नहीं है। कुछ यूनिट कथित तौर पर निगम के सीवरेज के साथ कनैक्शन जोड़ कर बिना ट्रीट किया जहरीला पानी फैंक रहे हैं। 


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