इंडियन टैक्नोमैक घोटाला : फर्जी बिल बनाने वाली प्रिंटिंग प्रैस में CID की दबिश

punjabkesari.in Friday, Jul 20, 2018 - 11:29 PM (IST)

पांवटा साहिब/शिमला: इंडियन टैक्नोमैक कम्पनी के 6 हजार करोड़ रुपए के घोटाले मामले में स्टेट सी.आई.डी. की टीम ने शुक्रवार को पांवटा साहिब के एक प्रिंटिंग प्रैस में छापेमारी कर वहां से कम्प्यूटर व रिकॉर्ड को कब्जे में लिया है। जानकारी के अनुसार उक्त प्रिंटिंग प्रैस के शहर में 2 अलग-अलग जगह कार्यालय हैं, जहां एक साथ छापेमारी हुई। बताया जा रहा है कि कम्पनी में इस्तेमाल करने वाले फर्जी बिलों को वहां पर तैयार किया जाता था। यह कार्रवाई डी.एस.पी. स्तर के अधिकारी की अगुवाई में की गई है। सी.आई.डी. की टीम रिकॉर्ड को कब्जे में लेकर जांच में जुट गई है। उधर, पांवटा साहिब के डी.एस.पी. प्रमोद चौहान ने बताया कि इंडियन टैक्नोमैक कम्पनी के घोटाले की जांच सी.आई.डी. कर रही है। उन्होंने कहा कि और कोई भी कार्रवाई हो इसके बारे में हमें जानकारी नहीं होती।  सी.आई.डी. की इस कार्रवाई से पांवटा साहिब में खलबली मच गई है।


आबकारी विभाग के तत्कालीन अधिकारी भी जांच के दायरे में
उधर, घोटाले की छानबीन में सी.आई.डी. को कई तथ्य हाथ लगे हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे करोड़ों के घोटाले में कई चेहरों की संलिप्तता भी सामने आ रही है। इसके तहत कंपनी के साथ-साथ आबकारी विभाग के कुछ तत्कालीन अधिकारी भी जांच के दायरे में हंै। सूत्रों की मानें तो जांच एजैंसी ऐसे अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब करने की तैयारियों में है। ऐसा होने से आगामी दिनों में कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हंै। हालांकि छानबीन चले होने के चलते विभागीय अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं हैं लेकिन जिस रफ्तार से जांच बढ़ रही है, उससे जल्द ही पूरे घोटाले का पर्दाफाश हो सकता है।


कंपनी के खिलाफ दर्ज हैं 2 एफ.आई.आर.
सी.आई.डी. ने प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर कंपनी के खिलाफ 2 एफ.आई.आर. दर्ज की हैं। इनमें बिजली बोर्ड को करोड़ों रुपए का चूना लगाने से जुड़े मामले में एक अधिकारी के खिलाफ अदालत में चालान भी पेश किया जा चुका है। इसके साथ ही आबकारी एवं कराधान महकमे को करोड़ों की चपत लगाने से जुड़े मामले में जांच आगे बढ़ रही है। कंपनी ने एक दर्जन से अधिक बैंकों से भी करीब 2250 करोड़ के करीब कर्ज लिया है।


फर्जी उत्पादन दिखा लगाया चूना
कंपनी कई वर्षों तक फर्जी उत्पादन दिखाकर चूना लगाती रही। बैंकों से करोड़ों का लोन फर्जी उत्पादन के सहारे ही लिया गया। कंपनी ने टैक्स भी नहीं चुकाया। सूत्रों की मानें तो कंपनी ने वर्ष 2009 से लेकर 2015 तक उत्पादन ज्यादा दर्शाया। कंपनी ने घपला करने के साथ ही आयकर और टैक्स भी नहीं भरा। इस कारण घपला करोड़ों में पहुंच गया।सी.आई.डी. ने इस मामले में कम्पनी के डायरैक्टर व ए.जी.एम. को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में उन्होंने बताया कि कम्पनी में किस तरह से फर्जी बिल तैयार किए जाते थे।


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Vijay

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