सेवा ना करने पर बेटे से प्रॉपर्टी वापस ले सकते हैं माता-पिता: हाई कोर्ट

punjabkesari.in Tuesday, Jul 17, 2018 - 12:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क:  बॉम्बे हाई कोर्ट ने पैतृक संपत्ति को लेकर मंगलवार को बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई बेटा अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करता है या उनकी ठीक से देखभाल नहीं करता तो वह अपने बेटे को दी गई अपनी संपत्ति का हिस्सा वापस ले सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव के लिए विशेष कानून का हवाला देते हुए जस्टिस रणजीत मोरे और अनुजा प्रभुदेसाई ने एक ट्रिब्यूनल के आदेश को बरकरार रखा।
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दरअसल ट्रिब्यूनल ने बुजुर्ग माता-पिता के अनुरोध पर बेटे-बहू को गिफ्ट की गई प्रॉपर्टी की डीड कैंसल कर दी थी। बेटे-बहू ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी। जिसकी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह फैसल सुनाया है। यह मामला अंधेरी के एक सीनियर सिटिजन कपल का है। उन्होंने अपने बेटे को एक गिफ्ट डीड देते हुए फ्लैट का पचास फीसदी हिस्सा उसके नाम कर दिया। 
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साल 2014 में एक बुजुर्ग की पहली पत्नी का निधन हो गया। पिछले साल जब उन्होंने दूसरी शादी करनी चाही तो उनके बेटे और उसकी पत्नी ने उनसे अनुरोध किया कि वह अपने अंधेरी फ्लैट का कुछ शेयर उन लोगों के नाम ट्रांसफर कर दें। उसके पिता ने दूसरी शादी की और फ्लैट का पचास फीसदी हिस्सा उनके नाम कर दिया। लेकिन ऐसा होने के बाद बेटे और उसकी पत्नी ने उनको सताना शुरू कर दिया। 
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बेटे बहू से परेशान बुजुर्ग ट्राइब्यूनल पहुंचे और गिफ्ट डीड कैंसल करने की मांग की। ट्रिब्यूनल ने उनके हक में फैसला सुनाया जिसके खिलाफ बेटा व उसकी पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील की। बेंच ने कहा कि पैरंट्स ने वह गिफ्ट अपने बेटे व उसकी पत्नी के अनुरोध पर इसलिए दी थी कि बुढ़ापे में वो लोग उनकी देखभाल करेंगे। लेकिन बेटे और बहू ने दूसरी पत्नी की वजह से ऐसा किया नहीं। इन हालात में हमें ट्रिब्यूनल के फैसले में कोई गलती नजर नहीं आती। 
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क्या है स्पेशल ऐक्ट 
* पैरंट्स और सीनियर सिटिजन कल्याण और देखभाल ऐक्ट 2007 में कहा गया है कि बच्चों की यह कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अपने बुजुर्ग मां-बाप की देखभाल करें। उनको अकेला छोड़ना या देखभाल न करना अपराध है। 
* ऐसे बुजुर्ग पैरंट्स जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है और वो अपनी देखभाल नहीं कर सकते, वह अपने बच्चों से मेंटेनैंस मांग सकते हैं। इनमें जैविक दादा-दादी भी शामिल हैं। 
* स्पेशल ट्राइब्यूनल ऐसे बुजुर्गों को 10 हजार रुपये का गुजारा भत्ता देने का आदेश दे सकता है। 
* जिन बुजुर्ग पैरंट्स से कोई औलाद नहीं है, ऐसे में उनकी प्रॉपर्टी लेने वाले या संभालने वाले या उनकी मौत के बाद जिन्हें प्रॉपर्टी मिलेगी, उनसे गुजारा भत्ता मांग सकते हैं। 
* बुजुर्ग पैरंट्स को गुजारा भत्ता देने की जिम्मेदारी बालिग बच्चों, नाती-पोतों की है। 
* अगर किसी ने कानून का पालन नहीं किया तो उसे तीन महीने की सजा हो सकती है। 


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vasudha

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