मप्र हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, पूर्व मुख्यमंत्रियों से एक माह में खाली करवाएं सरकारी बंगला

6/20/2018 11:33:40 AM

जबलपुर: मुख्यमंत्री रहते हुए, मिले आवास का लाभ लेने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों को एक माह के अंदर अपने सरकारी बंगले खाली करने होंगे। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित सरकारी आवास एक माह में खाली कराने का आदेश दिया है। संशोधन के खिलाफ लॉ स्टूडेंट रौनक यादव की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने येआदेश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार द्वारा नियम में किए गए संशोधन को असंवैधानिक करार दिया है। बीते मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस अखिल कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

इस दौरान याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी विधि छात्र रौनक यादव की ओर से अधिवक्ता विपिन यादव ने पक्ष रखा। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नियम के विरुद्ध सरकारी आवासों में रहते हैं। प्रदेश सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश वेतन भत्ता अधिनियम में 2017 में संशोधन किया था और पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्तमान मंत्रियों के समान वेतन-भत्ते और आवास की सुविधा देने का प्रावधान जोड़ दिया। इस संशोधन की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता ने कहा था कि ये समानता के अधिकार का उल्लंघन है। इसके जरिए मांग की गई कि संशोधित प्रावधान को असंवैधानिक करार दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्रियों को वित्तीय दृष्टि से पेंशन सहित अन्य भत्तों संबंधी लाभ मिलते हैं और उनके पास खुद के निजी आवास भी हैं।

ये पूर्व मुख्यमंत्री ले रहे सुविधा
वर्तमान में मप्र सरकार से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सुविधाएं ले रहे हैं। जिनमें कैलाश जोशी, दिग्विजय सिंह, उमा भारती और बाबूलाल गौर शामिल हैं। इन चारों को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसिहत से आवास, वाहन, वेतन-भत्ते एवं अन्य सुविधाएं मिल रही हैं। इससे पहले राज्य सरकार के नोटिस के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल बोरा अपना आवास खाली कर चुके हैं।

 

 

 

 


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suman

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