MP में बिछी चुनावी बिसात, PM मोदी लगाएंगे किसानों के जख्मों पर मरहम !

6/23/2018 3:13:13 PM

मध्य प्रदेश (कमल वधावन) : मप्र में विधानसभा के लिए चुनावी बिसात बिछ चुकी हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोंनों पाटियों के नेता अब लोगों को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते। मप्र में किसानों को लेकर खूब राजनीति हो रही है। बीजेपी पिछले साल मंदसौर में हुए गोलीकांड से उभरना चाहती है। किसानों के मुद्दों में फेल रही सरकार, जिसका राष्ट्रीय नेतृत्व को भी पता है। यही कारण है कि पीएम मोदी और अमित शाह​ लगातार मप्र के मुद्दों पर नजर बनाए हुए है।
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करीब दो सप्ताह पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने चुनिंदा नेताओं से बैठक कर सरकार किन्न मुद्दों में फेल रही, उन कारणों का पता चलाया था। वही पीएम मोदी ने भी झाबुआ के किसानों से वीडियो कांफ्रेंस से बातचीत करके किसान हितैषी होने का दावा किया। लेकिन हैरानी की बात ये रही कि जिस दिन पीएम मप्र के किसान से बातचीत कर रहे थे उसी दिन प्रदेश में कर्ज के बोझ तले दबे तीन किसानों ने आत्महत्या कर ली। तीन बार सत्ता में रही बीजेपी भी चुनावी मौसम के चलते प्रदेश की जनता को खुश करना चाहती है। हर रोज सीएम शिवराज चौहान अलग अलग क्षेत्रों में जाकर लोगों के लिए घोषणाएं कर रहे है। 
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वहीं कांग्रेस के नेता भी आपसी फूट खत्म कर सत्ता की चाह करने लगे है। दिग्गज नेता लगातार लोगों में जाकर बीजेपी सरकार की कमजोरियों का बखान कर रहे है। कांग्रेसी नेता इस बार प्रदेश में अपनी सरकार बनाना चाहते है। पिछले माह कांग्रेस के राष्ट्रीेय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदसौर में अपने संबोधन में किसानों के लिए एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी तो सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। इस ऐलान ने बीजेपी की चूले हिलाकर रख दी। उसी दिन से बीजेपी के आला नेताओं को मप्र में सक्रिय देखा जाने लगा।
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पीएम नरेंद्र मोदी 23 जून को मंदसौर आ रहे ​है। यहां एक सभा का आयोजन होगा। ​पीएम मोदी किसानों के साथ साथ प्रदेश के लिए कोई बड़े पैकेज का ऐलान कर सकते है। इस बार मंदसौर गोलीकांड पर राजनीति हो रही है। इस मुद्दे को बीजेपी खत्म करना चाहती है। यही कारण है कि पीएम मोदी को भी मंदसौर में बुलवाया गया है। ताकि किसानों के इस मुद्दे पर मरहम लगाकर हरे हुए घाव को भरा जा सके। 

मप्र में किसानों और पानी की किल्लत के मुद्दे सबसे बड़े है। इसके अलावा नर्मदा नदी को लेकर भी चुनावी मु्द्दा बनाया जाता रहा है। बीजेपी सरकार ने तो नर्मदा नदी की स्वछच्ता को लेकर कई संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे रखा है। चुनाव के दौरान जनता के ये मुद्दे सभी राजनीतिक दल हल करने के वायदे करने के लिए तैयार है। लेकिन सही में अगर कोई इनकी सुध ले तो उसे पता चले की उनकी परेसानी कितनी बड़ी है। बहरहाल किसान आंदोलन के चलते अब सभी दल किसानों के मुद्दे पर सभी दल फोकस कर रहे है। 

ऐसा नही नही है की मध्यप्रदेश में प्रगतिशील इलाके ना हो। स्मार्टसिटी में लगातार दो बार पहले स्थान पर इंदौर रहा। लेकिन किसानों पर कर्ज के बोझ, जिसके चलते हर रोज किसान आत्महत्याएं करने के लिए मजबूर दिखाई दे रहा है। पानी की किल्लत, कई इलाकों में तो लोग गंदा पानी ने के लिए मजबूर है। अब जनता का समय आने वाला है। चुनावों में जनता इन नेताओं से हिसाब जरूर मांगेगी। 

चलिए कुछ माह के बाद बीजेपी और कांग्रेस की परीक्षा होगी, देखने वाली बात ये रहेगी कि जनता किस पार्टी को वोट रूपी नंबर देकर पास करती है। 


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kamal

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