PNB स्कैमः जांच रिपोर्ट में हुए हैरान कर देने वाले खुलासे

punjabkesari.in Wednesday, Jun 20, 2018 - 03:26 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः पंजाब नैशनल बैंक की आंतरिक जांच में कई अहम खुलासे हुए हैं। न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, जांच में खुलासा हुआ है कि 13,000 करोड़ रुपए के घोटाले में बैंक के कुछ नहीं बल्कि कई शाखाओं की मिलीभगत है। आंतरिक जांच के मुताबिक पीएनबी के बैंकिंग ढांचे में कई गंभीर खामियां मौजूद हैं जिसके चलते हजारों करोड़ रुपए के इस घोटाले को पकड़ना बेहद मुश्किल काम था।

न्यूज एजेंसी राइटर के मुताबिक पीएनबी ने अपनी जांच रिपोर्ट में माना है कि इस घोटाले में बैंक के कुल 54 कर्मचारी जिम्मेदार है। इन कर्मचारियों में बैंक क्लर्क से लेकर विदेशी मुद्रा शाखा के अधिकारी और बैंक ऑडिटर से लेकर कई क्षेत्रीय शाखाओं के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

21 कर्मचारियों को किया सस्पेंड
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पीएनबी ने पहले कहा था कि मुंबई की एक ब्रांच में कुछ स्‍टॉफ ने दो ज्‍वैलरी ग्रुप को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी बैंक गारंटी जारी कर दी। घोटाले के मुख्‍य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी हैं, जिन्‍होंने बैंक‍कर्मियों से मिलकर अरबों डॉलर की फॉरेन क्रेडिट लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) के जरिए हासिल कर ली। 

हालांकि इससे पहले अप्रैल में बैंक के सीईओ सुनील मेहता ने दावा किया था कि इस घोटाले में शामिल 21 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। इस रिपोर्ट के उजागर होने से पहले तक पीएनबी की दलील थी कि यह घोटाला मुंबई की महज एक ब्राडी हाउस ब्रांच के मुट्टी भर कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते संभव हुआ है। पीएनबी की दलील के मुताबिक इस ब्रांच के कुछ कर्मचारी बीते कई वर्षों से नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कंपनियों को फर्जी बैंक गारंटी जारी करने का काम करते थे जिसके आधार पर मोदी और चोकसी विदेश में पीएनबी को हजारों करोड़ डॉलर का नुकसान पहुंचाने का काम करते थे।

162 पेज की रिपोर्ट: कई ब्रांच से जुड़े हैं फर्जीवाड़े के तार  
पीएनबी घोटाले की आंतरिक जांच का जिम्मा संभालने वाले अधिकारियों ने 162 पेज की रिपोर्ट सौंपी है। इसमें कहा गया है कि फर्जीवाड़े के तार पीएनबी की कुछ नहीं बल्कि कई शाखाओं से जुड़े हैं। रॉयटर्स ने जांच रिपोर्ट की कॉपी देखी है। रिपोर्ट के अनुसार, इस फ्रॉड में क्लर्क, फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजर और ऑडिटर से लेकर रीजनल ऑफिस के प्रमुख तक, पीएनबी के कुल 54 कर्मचारी-अधिकारी शामिल थे। इनमें से 8 लोगों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है। इस रिपोर्ट में शामिल दर्जनों पेज के बैंक रिकॉर्ड और इंटरनल ई-मेल जिसे सीबीआई ने सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया है, इसका हिस्‍सा हैं। जांच रिपोर्ट को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। 

हेडर्क्‍वाटर में भी भारी गड़बड़ी 
इंटरनल जांच रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया कि पीएनबी जांचकर्ता क्‍या यह मानते हैं कि मॉनिटरिंग में फेल रहने वाले कर्मचारियों को घोटाले की जानकारी थी। जांच अधिकारियों का मानना है कि वर्षों से चल रहा फर्जीवाड़ा इसलिए पकड़ में नहीं आया क्योंकि नई दिल्ली स्थित पीएनबी हेडर्क्‍वाटर में क्रेडिट रिव्यू और इंटरनेशनल बैंकिंग यूनिट्स जैसे बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारी गड़बड़ी थी। चार सीनियर पीएनबी जांचकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि असफलता के पर्याप्त साक्ष्य हैं। इससे स्पष्ट है कि नियमों का उल्लंघन, अनैतिक व्यवहार, गैरजिम्मेदारी की मानसिकता ने बैंक को इस संकट में डाला है। 

10 बार इंस्पेक्शन, फिर भी फर्जीवाड़ा 
लेकिन, पिछले साल ब्रैडी हाउस ब्रांच से 12 महीने में सिर्फ दो महीने की रिपोर्ट मिलने के बावजूद रीजनल ऑफिस ने झूठे कंप्लायंस सर्टिफिकेट पर दस्तखत कर दिया। रिपोर्ट कहती है कि इससे ब्रैडी हाउस ब्रांच में सबकुछ ठीकठाक होने का प्रमाण मिलता रहा। इतना ही नहीं, पेपर ट्रेल में बड़ी गड़बड़ी के बावजूद 2010 से 2017 के बीच 10 बार जांच के लिए आए सीनियर इंस्पेक्शन ऑफिसरों में एक भी ने किसी तरह की खामी रिपोर्ट नहीं की। 


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jyoti choudhary

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