मनरेगा फंडों में लाखों के घपले की खुलने लगी पोल

punjabkesari.in Wednesday, Jun 20, 2018 - 02:13 PM (IST)

मोगा/कोटईसे खां(गोपी राऊंके/संजीव): जिले के सबसे अधिक आमदनी वाले ब्लाक पंचायत व विकास विभाग कोटईसे खां के गांवों में कुछ समय से मनरेगा मजदूरों की मजदूरी के नाम पर कथित तौर पर लाखों रुपए का घोटाला होने की पोल खुलने लगी है। इसके उपरांत जहां दफ्तर के कुछ निचले मुलाजिम रुपोश होने लगे हैं, वहीं दूसरी तरफ ब्लाक पंचायत व विकास अफसर कोटईसे खां ने मामले की जांच शुरू करवा दी है, जिस कारण दफ्तर में एक बार फिर हड़कंप मच गया है।

‘पंजाब केसरी’ को इस मामले में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मनरेगा कर्मचारियों की निगरानी के लिए तैनात रोजगार सेवक (जी. आर.एम) ने ब्लाक के गांवों में कुछ सरपंचों से कथित मिलीभगत कर अपने चहेतों को मनरेगा के नौकरी कार्ड बनाकर उनके नाम पर बिना कार्य के ही हर महीने लाखों रुपए मजदूरी के तहत हासिल कर लिए। 

दोबारा नौकरी पर रखे थे ग्राम रोजगार सेवक
सूत्रों से यह भी पता चला है कि कुछ समय इस ब्लाक के ही 3 ग्राम रोजगार सेवकों को नौकरी से निकाल दिया गया था, लेकिन कुछ समय बाद ही फिर उनको गुप्त रूप से नौकरी पर रख लिया। पता चला है कि इस मामले का सच सामने आने से रोकने के लिए उच्चाधिकारी भी पूरा जोर लगा रहे हैं क्योंकि कुछ अधिकारियों को लग रहा है कि अगर इस घोटाले में की गई ‘हेरा-फेरी’ जगजाहिर हुई तो इसकी आंच उन तक भी पहुंचेगी।

क्या कहना है ब्लाक विकास व पंचायत अधिकारी का
इस मामले संबंधी जब ब्लाक विकास व पंचायत अफसर कोटईसे खां अमरदीप सिंह से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि इस मामले संबंधी कुछ शिकायतें मिली हैं। इस मामले की जांच के अलावा इस संबंधी सहायक प्रोजैक्ट अफसर (ई.पी.ओ.) से जवाब मांगा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच से पहले घोटाले संबंधी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। उन्होंने पुष्टि की कि सहायक प्रोजैक्ट अफसर ई.पी.ओ. को ड्यूटी पर न आने के कारण गैर-हाजिर करार दे दिया गया है। इस दौरान ही इस मामले पर एडीशनल डिप्टी कमिश्नर विकास राजेश त्रिपाठी ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है।


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Anjna

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