बिना मंजूरी किराया बढ़ाने पर एग्रीमैंट रद्द करने की चेतावनी

punjabkesari.in Wednesday, Jun 20, 2018 - 01:06 PM (IST)

लुधियाना(हितेश): सिटी बस सर्विस के संचालकों द्वारा बिना मंजूरी के किराया बढ़ाने का नगर निगम प्रशासन ने सख्त नोटिस लिया है। इसके तहत कंपनी को ओवरचार्जिंग बंद करने की चेतावनी देते हुए एग्रीमैंट रद्द करने का नोटिस भेजा जा रहा है। यहां बताना उचित होगा कि पिछले महीने हुई बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्स की मीटिंग में कंपनी के प्रतिनिधियों ने मुद्दा उठाया था कि 3 साल से किराया नहीं बढ़ाया गया है, जबकि डीजल के रेट काफी बढ़ गए हैं। इसके मद्देनजर किराया बढ़ानेका प्रस्ताव बनाकर डी.सी. को भेज दिया गया। जिसकी मंजूरी मिलने से पहले ही कंपनी ने ओवरचार्जिंग शुरू कर दी। उसके तहत 5 रुपए की जगह 7 रुपए किराया वसूलने की सूचना है। जिस पर नगर निगम ने कंपनी को फिलहाल पुराना किराया ही वसूलने की ताकीद करते हुए ओवरचाॄजग के आरोप में नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसकी पुष्टि जी.एम. बलजीत सिंह ने की है।  

बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्स की मीटिंग में होगा किराया बढ़ाने का फैसला
जब पिछली मीटिंग में किराया बढ़ाने का प्रस्ताव आया था तो यह चर्चा हुई कि कोई भी फैसला लेने से पहले बाकी राज्यों या पंजाब में डीजल के रेटों के मुकाबले बसों का किराया बढ़ाने बारे अपनाए गए पैट्रन को स्टडी कर लिया जाए। जो रिपोर्ट बनकर ज्वाइंट कमिश्नर सतवंत सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने फैसला लेने के लिए बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्स की मीटिंग में पेश करने के आदेश दिए हैं।

कंडम हो रही 37 बसों की रिपेयर के लिए मांगा एस्टीमेट
आलम यह है कि सिटी बस के बेड़े में शामिल 120 बसों में से कंपनी द्वारा अब तक सिर्फ 83 बसों को ही चलाया जा रहा है। बाकी की 37 बसों की रिपेयर को लेकर पेंच फंसा हुआ है। कंपनी ने यह बसें वर्किंग कंडीशन में ही लेने की शर्त लगा दी तो कई एरिया में लोगों को सिटी बस की सुविधा नहीं मिल रही है। इसके मद्देनजर नगर निगम ने बसों की रिपेयर के लिए कंपनियों से एस्टीमेट मांगा है। 


कंपनी से डेढ़ करोड़ की वसूली करना भूले अफसर
कंपनी को रोजाना 200 रुपए से भी कम किराए पर बसें दी गई हैं। जिसे लेकर काफी विरोध होने पर नगर निगम द्वारा लोगों की सुविधा के लिए बस सुविधा को वापस पटरी पर लाने के लिए मुनाफा छोडऩे का हवाला दिया गया था। लेकिन अब कंपनी द्वारा लंबे समय से यह किराया भी नहीं दिया जा रहा है। इसका आंकड़ा करीब डेढ़ करोड़ पर पहुंच गया है। जिस पैसे की वसूली की तरफ नगर निगम अफसरों का कोई ध्यान नहीं है। हालांकि बसों की रिपेयर पर आने वाले खर्च की अदायगी कंपनी से करवाकर निगम के ड्यूज में एडजस्ट करने के प्रस्ताव पर विचार जरूर किया जा रहा है।

घाटे का हवाला देकर फिर बंद किया राजगुरु नगर का रूट
नगर निगम ने जब से नई कंपनी को सिटी बस चलाने का जिम्मा सौंपा है, उसके बाद कई इलाकों के लोगों को अब तक दोबारा सिटी बस की सुविधा नहीं मिल पाई। इसके लिए भले ही कंपनी द्वारा अवैध आटोज पर ठीकरा फोड़ा जाता है। जबकि असलियत यह है कि कंपनी को घाटे वाले रूट से परहेज है। इसके तहत राजगुरु नगर तक चलाई गई 2 बसों को भी कुछ दिन बाद सवारियां न मिलने का हवाला देते हुए बंद कर दिया गया है। 


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