खराब हो सकते हैं भारत और यू.के. के राजनीतिक रिश्ते!

punjabkesari.in Wednesday, Jun 20, 2018 - 11:38 AM (IST)

जालंधर(बुलंद): यू.के. सरकार द्वारा गत दिनों यू.के. पार्लियामैंट में पास किए गए नए इमीग्रेशन नियमों में टीयर-4 स्टूडैंट वीजा कैटागरी में आसान वीजा नियमों के तहत 25 देशों को शामिल किया गया है, परंतु इसमें से भारत को बाहर रखा गया है। भारत के  विद्यार्थियों को हाई रिस्क कैटागरी में रखा गया है। 6 जुलाई से ये नियम लागू हो जाएंगे। जानकारों की मानें तो इस नई सूची में अमरीका, कनाडा और न्यूजीलैंड तो पहले से ही शामिल थे पर इस बार चाइना, बहरीन और सर्बिया जैसे देशों को भी शामिल कर लिया गया है।

इन देशों के विद्यार्थियों को लो-रिस्क के तहत आसान वीजा नियमों के अधीन यू.के. का वीजा दिया जाएगा। इन 25 देशों के विद्यार्थियों को फाइनैंशियल छूट मिलेगी, इनके एजुकेशनल डाक्यूमैंट्स को भी ज्यादा चैक नहीं किया जाएगा साथ ही इन्हेें इंगलिश लैंग्वेज स्किल्स रिक्वायरमैंट्स में भी छूट दी जाएगी अर्थात आईलेट्स में भी कम बैंड पर ये विद्यार्थी यू.के. जा सकेंगे।

क्या दिक्कतें आएंगी भारतीय विद्यार्थियों को 
जिस प्रकार से यू.के. सरकार ने भारत के विद्यार्थियों को हाई रिस्क कैटागरी में रखा है, से भारतीय विद्यार्थियों को यू.के. पढऩे जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। उन्हें तकरीबन 10000 पौंड पहले शो करने होंगे, इसके अलावा आईलैट्स में भी ज्यादा बैंड की जरूरत पड़ेगी। इससे पूरे भारत व यू.के. में रहने वाले भारतीयों में रोष व्याप्त है। 
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मोदी ने नहीं किया था एम.ओ.यू. साइन तो यू.के. ने बरती सख्ती
मामले बारे विदेश राजनीति से संबंधित माहिरों का कहना है कि इससे भारत और यू.के. के रिश्ते खराब हो सकते हैं। जानकार बताते हैं कि भारतीय विद्यार्थियों को यू.के. द्वारा सख्त वीजा नियमों के अधीन लाना असल में यू.के. के साथ-साथ यूरोपीय नीतियों पर भी असर डालेगा। यू.के. का भारतीय विद्यार्थियों को आसानी से वीजा न देना यूरोपियन देशों के लिए फायदेमंद साबित होगा, क्योंकि भारतीय विद्यार्थी सख्त वीजा नियमों के चलते यू.के. जाने से परहेज करेंगे और उनका रुझान यूरोप, कनाडा और अन्य देशों की ओर बढ़ेगा।
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यू.के. द्वारा भारत के विद्यार्थियों के प्रति लिए गए इस सख्त फैसले के पीछे के कारणों बारे जानकारी के अनुसार गत वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यू.के. दौरे के दौरान यू.के. के साथ एक एम.ओ.यू. साइन किया जाना था जिसमें अवैध तौर पर यू.के. में रह रहे भारतीय विद्यार्थियों व अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके विद्यार्थियों को वापस अपने देश भारत जाने पर सहमति प्रकट करनी थी परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने इस एम.ओ.यू. पर साइन नहीं किए जिसके बाद लंदन में यू.के. गवर्नमैंट की बैठक में भारतीय विद्यार्थियों को आसान कैटागरी वीजा लिस्ट में से बाहर रखने का फैसला लिया गया।

यू.के. वीजा बारे जानकार बताते हैं कि यू.के. सरकार की इस शक्ति की टाइमिंग भी हैरानीजनक है क्योंकि अगले सप्ताह यू.के. में इंडिया-यू.के. वीक मनाया जा रहा है। यू.के. का उक्त फैसला तंगदिली वाला है जबकि एक ओर यूके-इंडिया में फ्री ट्रेड एग्रीमैंट की बातचीत चल रही है। इस दौरान भारतीय विद्यार्थियों पर सख्ती वाले वीजा नियम लागू करना यू.के. की गलत राजनीतिक दूरदर्शता को प्रकट करता है।
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विद्यार्थियों में कम हुआ यू.के. जाने का रुझान : कपिल शर्मा
वीजा माहिर कपिल शर्मा बताते हैं कि वैसे ही यू.के. जाने के प्रति भारतीय विद्यार्थियों का रुझान कम है, दूसरी ओर पिछले कुछ वर्षों में यू.के. द्वारा सख्त नियम भारतीय विद्यार्थियों पर लागू करने से नतीजा यह निकला है कि पिछले 5 साल में यू.के. जाने वाले  विद्यार्थियों में भारी कमी दर्ज की गई है। पिछले 5 साल में 16 हजार के करीब भारतीय विद्यार्थी ही यू.के. गए हैं जबकि एक लाख के करीब विद्यार्थी कनाडा पढऩे गए हैं। यू.के. के द्वारा चाइना, थाईलैंड व बहरीन जैसे देशों को लो-रिस्क और भारतीय विद्यार्थियों को हाई रिस्क नियमों के तहत लाना गलत है। इससे भारतीय विद्यार्थियों में नकारात्मकता बढ़ेगी और यू.के. का यह फैसला इंडिया की ग्लोबल इमेज पर भी गलत प्रभाव डालेगा, क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहां से दुनियाभर में पढऩे जाने वाले विद्यार्थियों की गिनती सबसे ज्यादा है।

पंजाब के कई ट्रैवल एजैंटों ने यू.के. वीजा के नाम पर की थी ठगी, उसी का है यह नतीजा : त्रिवेदी
ट्रैवल एजैंटों की संस्था एकोस के प्रधान सुकांत त्रिवेदी का कहना है कि यह ब्रिटेन का निजी फैसला है। असल में पंजाब के कई ट्रैवल एजैंटों ने भारतीय विद्यार्थियों का अक्स दुनिया भर में खराब किया है। कुछ वर्ष पूर्व पंजाब में कई ट्रैवल एजैंटों ने यू.के. स्टडी वीजा के नाम पर भारी घपले व धोखाधडिय़ां की थीं जिस कारण यू.के. को भारतीय विद्यार्थियों को सख्त वीजा नियमों के तहत लाना पड़ा।
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प्रोफैशनलों को मिलेगा यू.के. में अच्छा भविष्य : डायमंड सोढी
वीजा माहिर डायमंड सोढी का कहना है कि यू.के. ने जहां भारतीय विद्यार्थियों को झटका दिया है वहीं प्रोफैशनलों का स्वागत भी किया है। ब्रैक्सिट यानी यू.के. का यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलने के नतीजे सामने आने शुरू हो गए हैं। यू.के. जो कि कभी यूरोपियन यूनियन के बाहर के देशों को आसानी से अपने देश में काम के लिए आने के लिए इजाजत नहीं देता था और 27 हजार से ज्यादा प्रोफैशनलों को यू.के. का वीजा नहीं दिया जाता था, अब यू.के. ने शॉर्टेज लिस्ट जारी की है तथा दूसरे देशों से उस लिस्ट के तहत प्रोफैशनलों को अपने देश आने के लिए आमंत्रण दे रहा है।

यू.के. में प्रोफैशनलों की भारी कमी पाई जा रही है, इसलिए भारतीय प्रोफैशनलों खासकर डाक्टरों, नर्सों व इंजीनियरों का यू.के. जाकर काम करने का राह आसान होगा पर इसके लिए शर्त यह रखी गई है कि यू.के. जाने वाले प्रोफैशनल के पास यू.के. में इम्प्लायर होना चाहिए। इसके तहत यू.के. कम्पनियों पर भी पाबंदिया लगाई गई हैं। कोई भी यू.के. की कम्पनी जो बाहर से प्रोफैशनल मंगवाना चाहती है, वह 25 से कम व 250 से ज्यादा इम्प्लायर वाली नहीं होगी और यू.के. होम ऑफिस से इजाजत लेकर ही बाहर से प्रोफैशनल मंगवा सकेगी। कोई भी कम्पनी 10 से ज्यादा माइग्रेंट इम्प्लाई नहीं रख सकेगी। उन्होंने कहा कि यू.के. ने भारतीय विद्यार्थियों को हाई रिस्क में रखा है जो अजीब बात है। इससे यू.के. और भारत के रिश्तों में खटास आएगी। यह आशा की जा रही है कि यू.के. इस फैसले को वापस लेगा। 


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Isha

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