रानी लक्ष्मीबाई ने ‘आजादी’ हेतु लंदन में किया था अंग्रेजों पर केस

punjabkesari.in Tuesday, Jun 19, 2018 - 07:59 AM (IST)

अमृतसर(स.ह, नवदीप) : रिचा शर्मा ने 2 साल पहले जी.एन.डी.यू. से एम.बी.ए. की है। एक प्राइवेट कंपनी में ऊंचे ओहदे पर हैं, जूडो-कराटे सीख रखा है। कहती हैं कि पंजाब की बेटियां घर ही नहीं बल्कि सरहद भी संभाल रही हैं। भारत की माटी में रानी लक्ष्मीबाई जैसी वीरांगना ने झांसी में जन्म लिया और झांसी की रानी कहलाई। वो मानने को तैयार ही नहीं थी कि रानी लक्ष्मीबाई ‘गंगा’ की बेटी हैं और उनका जन्म काशी (वाराणसी) में हुआ था।

रिचा जैसी कई पंजाब की बेटियां रानी लक्ष्मीबाई की जैसी ‘बहादुरी’ चाहती हैं लेकिन उनके इतिहास से ज्यादा वाकिफ नहीं हैं। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से जंग की और देश के नाम कुर्बान हो गई, ऐसी 2-4 लाइनों से आगे अधिकांश पंजाब की ‘बेटियां’ रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास नहीं जानती और न पढऩे की ललक ही दिखाई।

‘पंजाब केसरी’ ने 18 जून 1828 को स्वतंत्रता संग्राम के लिए देश के नाम पर कुर्बान होकर दुनिया भर की महिलाओं के लिए ‘नारी शक्तिकरण’ की अलख जगाने वाली रानी लक्ष्मीबाई को लेकर पंजाब की बेटियों से उनका इतिहास जानने की कोशिश की तो अधिकांश पंजाब की बेटियां रानी लक्ष्मीबाई के इतिहास से अंजान दिखी। रानी लक्ष्मीबाई का नाम को लेकर कहती हैं कि सुना हुआ है लेकिन सन्नी लियोनी का इतिहास जानती हैं, बालीवुड के सभी ‘खानों’ की जन्म कुंडली है। कौन-सी फिल्म और कौन-सा टी.वी. सीरियल हिट है यह जानती हैं, लेकिन देश के इतिहास के पन्नों को गूगल के आधुनिक युग में भी वही सर्च करते हैं जो उन्हें पश्चिमी सभ्यता के तरफ धकेल रहा है।

इतिहास पढ़ाने वाले प्रो. दरबारी लाल कहते हैं कि रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास पहले बच्चों को पढ़ाया जाता था, नैतिक शिक्षा की किताब होती थी। देश के शहीदों के बारे में स्कूलों में रोजाना सुबह प्रार्थना के बाद बताया जाता था, लेकिन आज के दौर में सब कुछ सोशल मीडिया ने छीन लिया है। स्कूलों में शहीदों के पाठ अब कहां पढ़ाए जाते हैं। देश का इतिहास जानने के लिए हाइटैक युवा भारत के पास वक्त ही नहीं है, जिनके पास है उनमें से अधिकांश सोशल मीडिया पर सर्च करते हैं जो उन्हें पसंद है। आज का युवा गांधी से बेपनाह मोहब्बत करता है, लेकिन बापू मोहन चंद करम चंद गांधी की ‘नोटों’ पर लगी तस्वीर से। सन्नी लियोनी सबसे ज्यादा सोशल मीडिया में सर्च की गई, लेकिन बात करें 18 जून 1858 के दिन प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आवाज बुलंद करते हुए कुर्बानी देने वाली रानी लक्ष्मीबाई को कितने देश के युवा ने गूगल पर सर्च किया, इसका जवाब ‘पंजाब केसरी’ पढ़कर हर युवा को अपने आप से ‘दिया’ जाना चाहिए, चाहे वो बेटा हो या बेटी। 

इतिहास के पन्नों में ‘जिंदा’ लक्ष्मीबाई 
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर 1828 को काशी में हुआ। बचपन का नाम मणिकर्णिका (मनु) था। मां भागीरथी बाई की कोख में ‘गीता’ सुनी। भगवान शिव की नगरी काशी में गंगा में डुबकी लगाई। पिता मोरोपंत ताम्बे बाजीराव की सेना में थे। झांसी के राजा गंगाधर राव नेवलेकर से 14 वर्ष में शादी हो गई। 21 नवम्बर 1853 को लंदन की कोर्ट में आजादी के लिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 21 नवंबर 1853 को केस दायर किया था, केस वो हार गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के एक्ट के मुताबिक जिन राजाओं की अपनी संतान नहीं हैं उनके राज्य पर उनके मरणोपरांत ईस्ट इंडिया काबिज होगी। इस एक्ट के खिलाफ रानी लक्ष्मीबाई ने आवाज बुलंद करते हुए गुलामी कबूल करने से इंकार कर दिया था। उसके बाद ब्रिटिश हुकूमत से उन्होंने जंग लडऩे के लिए पहली बार महिलाओं को ‘सेना’ में लेकर आई और ब्रिटिश हुकूमत के छक्के छुड़ा दिया। जंग के मैदान में जब उनके सिर पर तलवार लगी व बेहोश हो गई।

ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें घायल अवस्था में नहीं पहचाना, इसी दौरान रानी लक्ष्मीबाई को घायल अवस्था में उनके सेना के साथी किसी सुरक्षित स्थल पर ले गए, जहां उन्हें गंगा जल पिलाया गया। तब उन्होंने अंतिम इच्छा में कहा था कि ‘मेरे मृत शरीर को कोई अंग्रेज छू भी न सके’ और यही हुआ भी। ब्रिटिश हुकूमत के दबाव के बाद भी रानी लक्ष्मीबाई शहीद होकर जहां ‘नारी शक्तिकरण’ की पर्यायवाची बन गई, वही देश ही नहीं दुनिया का इतिहास भी। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Anjna

Recommended News

Related News