बिना मंजूरी के दवा बेचने वाली बड़ी फार्मा कंपनियों पर चलेगा केंद्र का चाबुक

punjabkesari.in Monday, Jun 18, 2018 - 12:42 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः बाजार में आजकल बड़ी संख्या में बिना मंजूरी की दवाएं बिक रही हैं। अब केंद्र बिना मंजूरी के दवाइयां बेचने वाली बड़ी फार्मा कंपनियों पर जल्दी एक्शन लेगा। केंद्र सरकार उन उत्पादकों पर शिकंजा कसेगी जो बिना क्लिनीकल ट्रायल और मंजूरी के एमरजैंसी कांटरासैप्टिव, एंटी-ओबैसिटी और फर्टिलिटी फार्मुलेशन जैसी दवाएं बाजार में बेच रहे हैं। ड्रग्स एंड कॉस्मैटिक एक्ट में यह संशोधन इसलिए लाया जाएगा ताकि कंपनियों की तरफ से दवाओं की क्वालिटी यकीनी की जा सके। जिसको बड़ी फार्मा कंपनियों के लेबल के साथ बेचा जाता है। यानी बिना मंजूरी दवा बेचने वाली बड़ी फार्मा कंपनियों पर केंद्र चाबुक चलाने की तैयारी में हैं।

कारण बताओ नोटिस किए जारी
केंद्रीय सेहत मंत्रालय और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डी.सी.जी.आई.) ने पिछले 3 महीनों में कई कंपनियों को नियमों की उल्लंघना को लेकर कारण बताओ नोटिस भी जारी किए हैं। डी.सी.जी.आई. की जांच के अनुसार ये दवाएं उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और दमन के छोटे उत्पादकों की तरफ से बनाई जा रही थीं और इन दवाओं को बड़ी कंपनियां अपने लेबल के साथ बेच रही थीं। कंपनियां ज्यादातर क्लिनीकल ट्रायल पर बचत करने के लिए और बाजार में जल्दी छा जाने के चक्कर में नई दवाओं के लिए रैगुलेटरी मंजूरी लेना जरूरी नहीं समझतीं, वहीं ड्रग लॉ के अंतर्गत कंपनियों की तरफ से किसी भी नई दवा को लांच करने से पहले मंजूरी लेना अनिवार्य होता है और इनमें क्लिनीकल ट्रायल की विशेष भूमिका होती है।

दवाएं बनाने के लिए फूड आइटम्ज के रूप में चीन से आता है सामान
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डी.सी.जी.आई.) के एक अधिकारी ने बताया कि हम एफ.आई.आर. दर्ज कर रहे हैं और जांच जारी है। हमने कई कंपनियों को ऐसी दवाइयों को बनाने और उनकी मार्कीटिंग करने को ले कर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने बताया कि जांच दौरान एक इंस्पैक्टर ने यह भी पाया कि इन दवाओं को बनाने के लिए चीन से सामान मंगवाया जा रहा था। यह सामान चीन से फूड आइटम्ज के रूप में मंगवाया जा रहा था। ड्रग्स और कॉस्मैटिक एक्ट में आते दोषी पाए जाने पर 3 से 5 साल तक की सजा और 1 लाख रुपए के जुर्माने की व्यवस्था है। हालांकि ऐसे मामलों में ज्यादातर उत्पादक ही दोषी पाए जाते हैं और बड़ी फार्मा कंपनियां मौजूदा कानून के अंतर्गत बच निकलती हैं। सेहत सचिव प्रीति सुडान ने सभी सूबों के सचिवों को पत्र लिख कर सूचित किया है कि ऐसी कंपनियों को पूरी जांच के बाद ही लाइसैंस दिया जाए। 


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Supreet Kaur

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