4 मंदिरों के साथ 54 घरों को रोशन कर गए जुनूनी दोस्त

punjabkesari.in Sunday, Jun 17, 2018 - 09:58 PM (IST)

शिमला: कुल्लू जिला के3 दुर्गम गांवों शाक्टी, मोराड़ व शुगाड़ में अब सूर्यास्त होने पर भी अंधेरा नहीं होगा। इन गांवों के लिए प्रवीण शर्मा, जितेंद्र, प्रेम तथा इनके अमरीकी दोस्त भास्कर डी.के. व रवि रोशनी का दूत बनकर आए हैं। इनकी मेहनत से न केवल 54 घरों के 220 से ज्यादा लोगों की जिंदगी में छाया अंधेरा दूर हुआ है बल्कि भगवान के 4 प्रमुख मंदिर भी रोशनी से जगमगा उठे हैं। सभी घरों में पहली बार बिजली देख बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं सभी फूले नहीं समा रहे हैं। प्रत्येक घर पर 400 वाट का सोलर पैनल स्थापित किया गया है। प्रत्येक सोलर पैनल से कम से कम 8 से 10 बल्ब जलेंगे।


लालटेन जलाकर पढ़ाई करते थे बच्चे
प्रवीण शर्मा ने बताया कि 5 साल पहले उन्हें पता चला कि कुल्लू के ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क के साथ लगते 3 गांवों में बिजली नहीं पहुंच पाई। स्कूली बच्चे लालटेन जलाकर पढ़ाई करते हैं। महिलाएं दीये की रोशनी में खाना पकाती हैं। यह देखते हुए उन्होंने कुछ हटकर करने की ठानी। सभी दोस्तों ने साल 2013 में सोलर टॉर्च और 10-12 सोलर लाइटें ग्रामीणों को दीं लेकिन ये 54 परिवारों और 3 गांवों के लिए काफी नहीं थीं। इसके बाद तीनों दोस्तों द्वारा बनाई गई सैंटर फॉर सस्टेनेबल डिवैल्पमैंट नामक संस्था ने इन गांवों तक बिजली पहुंचाने का प्रण लिया और करीब 60 लाख रुपए का प्रोजैक्ट अमरीका की टिमकैन कंपनी से मंजूर करवाया। आखिरकार इनके प्रयास रंग लाए और एक रोज पहले ही कुल्लू के तीनों गांवों में बिजली पहुंच गई।


ग्रामीणों को 1,250 वाट का जैनरेटर दिया
लोगों के घर, मंदिर और स्थानीय स्कूल भी अब रोशनी से जगमगा रहे हैं। प्रत्येक घर पर 400 वाट के सोलर पैनल के अलावा ग्रामीणों को 1,250 वाट का एक जैनरेटर भी दिया गया है जो शादी समारोह में काम आएगा। इस तरह जो काम आजाद भारत में 71 साल तक राज करने वाली विभिन्न दलों की सरकारें नहीं कर पाईं वह काम इन जुनूनी दोस्तों ने अमेरीका के भास्कर डी.के. और रवि के सहयोग से कर डाला है।


कम वोटर देखते हुए सरकार ने नहीं दी बिजली
220 से अधिक आबादी वाले तीनों गांवों में करीब 110 मतदाता बताए जा रहे हैं। कम वोटर देखते हुए किसी भी सरकार ने इन्हें बिजली देने की जहमत नहीं उठाई जबकि हिमाचल की सरकारें कई साल पहले प्रदेश के सभी गांवों के विद्युतीकरण का दावा कर चुकी हैं।


20 टन के उपकरण गांवों तक पहुंचाना था चुनौतीपूर्ण
प्रवीण शर्मा ने बताया कि अमरीका से आयातित सोलर उपकरणों को इन गांवों तक पहुंचाना सबसे चुनौतीपूर्ण था क्योंकि सड़क इन गांवों से लगभग 15 किलोमीटर दूर है और इनका वजन 20 टन से भी ज्यादा था। ऐसे में इन्हें खच्चरों व स्थानीय लोगों की मदद से गांवों तक पहुंचाया गया। अब इन गांवों में बिजली देखकर उन्हें सुकून मिल रहा है। इससे लोगों के जीवन में नया सवेरा आया है।


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Vijay

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