आई.ए.एस. अधिकारी का राजनीति में आना कोई नया कदम नहीं

punjabkesari.in Saturday, Jun 16, 2018 - 08:32 AM (IST)

पंचकूला(धरणी): हरियाणा में भाजपा 2014 में सत्ता में आई तो इससे पहले भाजपा ने चुनाव प्रचार में 2 चॢचत आई.ए.एस. अधिकारियों प्रदीप कासनी व अशोक खेमका के बार-बार तबादलों का मुद्दा खूब भुनाया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद इन अधिकारियों से वही होता रहा जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा व अन्य सरकारों में होता रहा है।  हरियाणा के अंदर किसी आई.ए.एस. अधिकारी का राजनीति में आना कोई नया कदम नहीं है। 

1985-86 में आई.ए.एस. अधिकारी कृपा राम पूनिया सेवानिवृत्त लेकर चुनाव लड़े व 1987 में देवीलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 2013 -14 में आई.ए.एस. राव अभय सिंह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले कर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े व 2014 से हरियाणा विधानसभा में विधायक हैं। सेवानिवृत्त आई.ए.एस. आर.एस. चौधरी इनैलो की राजनीति में पूर्ण सक्रिय हैं। सेवानिवृत्ति ले हरियाणा की राजनीति में आई.ए.एस. अधिकारी ही नहीं आई.पी.एस. अधिकारी भी राजनीति में आए हैं। सेवानिवृत्ति के बाद आई.पी.एस. पूर्व डी.जी.पी. महेंद्र सिंह मालिक इनैलो की राजनीति में सक्रिय हैं।

सेवानिवृत्त व चर्चित आई.ए.एस. प्रदीप कासनी को कांग्रेस में लाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने एक तीर से कई निशाने किए हैं। प्रदीप कासनी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में भी आई.ए.एस. रहते कासनी तबादलों के शिकार रहे।  सबसे ज्यादा तबादला पूर्व की हुड्डा सरकार में हुआ। खट्टर सरकार के साढ़े 3 साल के कार्यकाल में सितम्बर 2016 में एक महीने के अंदर 3 बार कासनी का तबादला किया गया जो उन्हें भूलता नहीं है । हरियाणा के आई.ए.एस. अफसर प्रदीप कासनी कई मामलों से चर्चाओं में रहे। 

पूर्व की हुड्डा सरकार में सेवा के अधिकार आयोग के सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाने के मामले में कासनी चर्चा में आए थे। आई.ए.एस. कासनी लैंड यूज बोर्ड के जिस ओ.एस.डी. पद से सेवानिवृत्त हुए , सरकार के रिकार्ड में उस पद का कोई अस्तित्व ही नहीं है। अपनी सर्विस की आखिरी पोस्टिंग में कासनी को इस पद पर न तो सरकारी गाड़ी मिली और न ही चपड़ासी।

अपने 34 साल के सरकारी सेवाकाल के दौरान 71 तबादले झेलने वाले प्रदीप कायनी आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिले और इसके  बाद उन्होंने कांग्रेस की विधिवत सदस्यता लेने का ऐलान कर दिया। इसी साल 28 फरवरी को रिटायर होने वाले प्रदीप कासनी का विवादों के साथ चोली-दामन का साथ रहा है। मौजूदा भाजपा सरकार के दौरान भी कासनी को लगातार परेशान किया गया। अपनी ईमानदारी और बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर प्रदीप कासनी का पूरा सेवा काल  नेताओं के साथ उलझते हुए बीता है। 

गलत या असंवैधानिक काम करने से साफ इंकार करने में जरा देर न करने वाले और नेताओं को सच का आईना दिखाते रहे प्रदीप कासनी ने आखिर कार राजनीतिक जीवन में कूदने का फैसला लेकर सभी को चौंका दिया है। किसी को भनक तक नहीं थी कि प्रदीप कासनी एकाएक कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे। उन्हें कांग्रेस में लाने का असली योगदान निभाया जे.एन.यू. के दिग्गज छात्र नेता और दलित एक्टिविस्ट प्रदीप नरवाल और नारायणगढ़ के प्रसिद्ध कानूनविद सुखविंद्र नारा ने।  जिन्होंने कासनी से लगातार कई बैठकें कीं।  

पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी प्रदीप कासनी चरखी दादरी जिले से ताल्लुक रखते हैं ,वहीं प्रदीप कासनी अपनी लेखनी के चलते भी मशहूर हैं। प्रदीप कासनी के पिता धर्म सिंह एक जूझारू पत्रकार थे और उन्होंने 1991 में कांग्रेस के टिकट पर भिवानी जिले के बाढड़़ा विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था ।  प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा कि प्रदीप कासनी जैसे जूझारू , संघर्षशील व ईमानदार व्यक्ति के कांग्रेस में आने से पार्टी की ताकत बढ़ेगी । 

उन्होंने कहा कि पार्टी में प्रदीप कासनी के मान-सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाएगा और उन्हें उनके कद के हिसाब से यथायोग्य जिम्मेदारी भी दी जाएगी। प्रदीप कासनी ने भी कहा है कि वे राहुल गांधी के संघर्ष और कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर कांग्रेस में शामिल हुए हैं । उन्होंने कहा कि डा. अशोक तंवर जैसे नेता के दमदार नेतृत्व में कांग्रेस सत्ता में लौटेगी।
 

 


 


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Rakhi Yadav

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