16 हज़ार शिल्पकारों ने मिलकर बनाया देश का ये प्रसद्धि मंदिर

punjabkesari.in Wednesday, Jun 13, 2018 - 04:27 PM (IST)

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खजुराहो के लक्ष्मण मंदिर का निर्माण लगभग 930 ई.में यशोवर्मन नामक राजा ने कराया था। यशोवर्मन का एक नाम लक्ष्मण वर्मन भी था इसलिए यह मंदिर लक्ष्मण मंदिर कहलाता है। वैसे यह मंदिर भगवान विष्णु का है। पंचायतन शैली में बना हुआ यह मंदिर खजुराहो में अब तक प्राप्त सभी मंदिरों में सबसे सुरक्षित स्थिति में है। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण के लिए मथुरा से सोलह हजार शिल्पकारों को बुलाया गया था तथा यह मंदिर लगभग सात वर्ष में बनकर तैयार हुआ था। हरे-भरे जंगलों की हरीतिमा में छिपा यह अनमोल सौंदर्य प्राय: 600 वर्षों तक मानव की आंखों से अछूता रहा। 
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सन् 1840 में एक ब्रिटिश शिकारी दल ने इस स्थल का पता लगाया था। बाद में उत्खनन के माध्यम से मिट्टी के गर्भ में दबा यह अनुपम सौंदर्य बाहर आया तथा सन् 1923 में यह सर्वसामान्य में यात्रा के लिए चर्चित हुआ। निर्माण कला की दृष्टि से खजुराहो के मंदिरों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। एक पूर्ववर्ती जिसके अंतर्गत चौंसठ योगिनी लालगुहा महादेव, ब्रह्मा मातंगेश्वर और वराह मंदिर आदि आते हैं। दूसरा-परवर्ती जिसमें शेष सभी मंदिर आते हैं। चंदेल वंश के राजाओं ने कुल 85 मंदिर बनवाए थे जिनमें से वर्तमान में केवल 22 मंदिर शेष बचे हैं।
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लक्ष्मण मंदिर के बाद आता है विश्वनाथ मंदिर जो लगभग 1002 ई. में महाराजा धंगदेव वर्मन ने बनवाया था। यह मंदिर भी लक्ष्मण मंदिर के समान ही पंचायतन शैली का बना हुआ था किंतु वर्तमान में केवल दो उपमंदिर उत्तर पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम कोनों में ही स्थित हैं। बाकी दक्षिण पूर्व एवं उत्तर-पश्चिम कोनों के उप मंदिर टूट चुके हैं। मंदिर के सामने का नंदी मंदिर जोकि विश्वनाथ मंदिर के ही चबूतरे पर बना है। चित्रगुप्त मंदिर राजा धंगदेव वर्मन के पुत्र महाराजा गंडदेव ने 11वीं शताब्दी के उत्तराद्र्ध में बनवाया था।
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खजुराहो में बने मंदिरों में केवल यही एकमात्र सूर्य मंदिर है। इस मंदिर का नाम चित्रगुप्त नामक उपदेवता के नाम पर पड़ा जिनके बारे में ङ्क्षहदू धारणा है कि वह मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। गर्भगृह में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा के दाहिने ओर हाथ में लेखनी लिए चित्रगुप्त की खंडित प्रतिमा है। यह मंदिर निरधार शैली में बना है।
 

PunjabKesariखजुराहो में सबसे प्राचीन मध्यकालीन भारतीय स्थापत्य का भव्यतम स्मारक ‘कंदारिया महादेव मंदिर’ है। यह भारत की सर्वोत्तम वास्तुकृतियों में अपना गौरवपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर 117 फुट ऊंचा, 117 फुट लम्बा तथा 66 फुट चौड़ा है। मंदिर को सामने की ओर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि एक शिखर वाला विशाल पर्वत खड़ा हुआ हो एवं मंदिर का प्रवेश द्वार ऐसा लगता है जैसे किसी कंदरा या गुफा का द्वार हो इसलिए ही इस मंदिर का नाम कंदारिया महादेव अर्थात कंदरा में रहने वाले शिव पड़ा।
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Jyoti

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