बच्चों के लिए क्या है बैस्ट,PSP गेम्स या टीवी देखना?

punjabkesari.in Monday, Jun 11, 2018 - 04:33 PM (IST)

आजकल के स्मार्ट और डिजिटल जमाने से बच्चे भी अछूते नहीं है। इसका असर बड़ों के साथ-साथ बच्चों पर भी पूरी तरह से पड़ रहा है। बच्चे का पढ़ाई में चाहे मन न लगता हो लेकिन वीडियो गेम यानि पीएसपी (PlayStation Portable) फोन,लैपटॉप,कंप्यूटर जैसे डिवाइस को चलाने में वह पूरी तरह से माहिर होते हैं। वहीं, पीएसपी उनके पसंदीदा खेलों में से एक है, ज्यादातर बच्चे इस पोर्टेबल डिवाइस को लेकर घंटों एक ही कोने में बैठे रहते हैं। फिर उन्हें इस बात की भी भनक नहीं होती की घर में या उनके आस-पास क्या-क्या चल रहा है। वहीं, कुछ पेरेंट्स तो इस बात को भी समझ नहीं पाते कि यह गेम्स उनके लिए अच्छी है या फिर टीवी देखना। 


1. आइए जानें क्या है PSP के नुकसान
हर समय वीडियों गेम्स खेलना बच्चे को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। एक रिसर्च में तो यह बात भी सामने आई है कि इस तरह के डिवाइस बच्चे को गुस्सैल बनाते हैं  क्योंकि  इनमें ज्यादातर झगड़ा, हिंसा और मारधाड होती है। यह चीजें उनके दिमाग पर पूरी तरह से असर डालती हैं। इससे न सिर्फ उनके मानसिक तौर पर बल्कि शारीरिक रूप से भी बच्चे पर बहुत बुरा असर पड़ता है। 


गुस्सैल होता है स्वभाव 
बच्चे जिस तरह की गेम्स खेलते हैं, उसी तरह का बर्ताव वह करने लगते हैं। उन्हें पहले से ज्यादा गुस्सा आने लगता है। फिर चाहे उन्हें जितना भी मर्जी समझा लिया जाए वह अपने बर्ताव को बदलना नहीं छोड़ते। 

 

आंखों की रोशनी कमजोर
जब बच्चे पीएसपी पर घंटे गेम्स खेलते हैं तो वह सक्रीन को अपनी आंखों के बेहद करीब करके देखते हैं। जिसकी तेज रोशनी से उनकी आंखों पर खराब असर पड़ने लगता है। 

 

पेट और कमर दर्द
इस तरह की डिजिटल चीजों का इस्तेमाल करने से बच्चों में पेट दर्द,कमर दर्द जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। एक ही जगह पर बैठे रहना, खान-पान की तरफ ध्यान न देना, जरूरत से ज्यादा खाना या फिर भूखे रहना सब गेम्स के कारण होता है। इससे पेट दर्द होता है और बैठने का पॉश्चर सही नहीं होने से कमर में भी दर्द उठना शुरू हो जाता है। 

 

आसामाजिक होना
जब बच्चे अपनी ही दुनिया में खोए रहते हैं तो वह दूसरे लोगों से बातचीत करना पसंद नहीं करते। ऐसे धीरे-धीरे वह आसामाजिक होने लगते हैं, ऐसा बर्ताव उनके भविष्य के लिए सही नही है।

 

अनिद्रा की परेशानी
वीडियो गेम्स खेलने वाले बच्चों को नींद न आने की परेशानी भी हो सकती है। वह रात भर इसे खेलने के लिए बैठे रहते हैं। जिससे वह ठीक से सो नहीं पाते। 


PSP जैसी गेम्स खेलने के बारे में इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि यह मनोरंजन का साधन है। जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल करने से बच्चे को बहुत नुकसान हो सकते हैं। यह बात निश्चित कर लें कि बच्चों को दिन में कुछ देर इनका प्रयोग करने दें बस उनकी लत न लगने दें।


2. PSP गेम्स या टी.वी, क्या है बच्चे के लिए सही?
बच्चे कभी-कभी किताबे पढ़ कर भी बोर हो जाते हैं, इससे छुटकारा पाने के लिए गेम्स के अलावा उनके पास टी.वी बेहतर ऑप्शन होता है। अगर बच्चे इसे देखने के आदि न हो तो यह गेम्स से बढ़िया विकल्प हो सकता है। 


अलग-अलग तरह के चैनल 
टीवी की खास बात यह है कि इस पर एक ही तरह की गेम्स नहीं होती बल्कि बहुत से चैनल देखे जा सकते हैं, जैसे स्टोरी,कार्टून,म्यूजिक,एजुकेशन,धर्म, डांस आदि। इससे बच्चा एक ही तरह की चीजें देखने का आदी नहीं बनता। 


भाषाएं सीखने में मददगार
जहां वीडियों गेम्स का तेज म्यूजिक दिमाग पर बुरा असर डालता है, वहीं टीवी पर बच्चों को भाषाएं सीखने का मौका मिलता है। वह हिंदी,इंग्लिंश,पंजाबी आदि कई तरह की भाषाओं की जानकारी ले सकता है। 

 

परिवार के साथ समय
जब बच्चा फैमिली के साथ मिलकर टीवी देखता है तो परिवार के साथ समय भी बिता सकता है। जो अकेले में वीडियों गेम देखने से अच्छा है। 

 

अगर दोनों चीजों में तालमेल करके देखा जाए तो  पीएसपी से अच्छा ऑप्शन टीवी देखना है लेकिन इसके लिए भी बच्चे को टाइम-टेबल सेट करना बहुत जरूरी है। इस बात का ध्यान रखने की बहुत जरूरत है कि वह टीवी पर सिर्फ कार्टून ही न देखे। 


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