यहां साक्षात विराजमान हैं सूर्य देव

punjabkesari.in Saturday, Jun 02, 2018 - 04:40 PM (IST)

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राजस्थान के झुन्झुनू जिले से 70 कि.मी. दूर आड़ावल पर्वत के उदयपुरवाटी के कस्बे में लोहार्गल मंदिर स्थित है जिसका संबंध पांडवो से जुड़ा हुआ है। इस तीर्थ स्थल को पुष्कर तीर्थ के सभी तीर्थों में से मुख्य तीर्थ स्थल माना जाता है। 

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मान्यता है कि पांडवों को लोहार्गल के सूर्य मंदिर तीर्थ में सगे-संबंधियों की हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। यहां स्थित सूर्य कुंड में स्नान करने से त्वचा संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है। सूर्यदेव संग इनकी पत्नी छाया की पूजा से सब प्रकार के मनोरथ भी पूरे होते हैं। राजस्थान के झुंझनूं जिले में स्थित लोहार्गल का सूर्य मंदिर भगवान सूर्य का घर माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की तपस्या से यहां सूर्यदेव को पत्नी छाया के साथ रहने के लिए स्थान मिला था। 

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यहां स्थित सूर्य कुंड में स्नान करने से त्वचा संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है। सूर्यदेव संग इनकी पत्नी छाया की पूजा से सब प्रकार के मनोरथ भी पूरे होते हैं। यह सूर्य देव के प्राचीन मंदिरों में से एक है और कोणार्क के सूर्य मंदिर का समकालीन है। 

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माना जाता है कि कत्यूरी वंश के राजा कटरमाल ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लोगों की आस्था है कि यहां श्रद्धापूर्वक जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी होती है। पद्मासन की मुद्रा में बैठे भगवान सूर्य भक्तों को रोग और दुखों से मुक्ति दिलाते हैं। यह मंदिर अलमोड़ा से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर बसा है।

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भगवान परशुराम से भी है संबंध  
विष्णु के छठें अंशअवतार ने भगवान श्री परशुराम ने जब क्रोध में क्षत्रियों का संहार कर दिया था तब बाद में उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने पाप मुक्ति और पश्चाताप के लिए यहां रहकर हवन किया। 
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Jyoti

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