कुदरती खूबसूरती के साथ लें धार्मिक यात्रा का आनंद

punjabkesari.in Friday, Jun 01, 2018 - 02:37 PM (IST)

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शहरी कोलाहल और प्रदूषण से दूर अल्मोड़ा हिल स्टेशन वस्तुत: प्रकृति से प्रत्यक्ष साक्षात्कार का एक सर्वथा उपयुक्त स्थान है। नैनीताल, पिथौरागढ़, पौड़ी और चमोली जनपद द्वारा चारों तरफ से घिरे इस स्थान के अगल-बगल में दो नदियां-कोशिका और शाल्मली बहती हैं, जिससे इसकी कुदरती खूबसूरती और अधिक निखर उठती है। हिमालय के पश्चिमी भाग में 5 किलोमीटर तक घोड़े की नाल के आकार में फैला है कश्या पर्वत, जो अत्यंत मनोरम प्रतीत होता है। इसी कश्या पर्वत की गोद में बसा है-अल्मोड़ा। तीन तरफ से देवदार और चीड़ के पेड़ों से ढंके व पट्टेदार पहाड़ों से घिरे इस रमणीय स्थान के पग-पग पर प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है, जो आंखों से समेटे नहीं 
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नंदा देवी मंदिर
नंदा देवी का प्राचीन मंदिर अल्मोड़ा शहर में ही स्थित है। इसकी दीवारों पर उत्कीर्ण मूर्तियां काफी कलात्मक होने के कारण देखने योग्य हैं। यहां प्रतिवर्ष भाद्र मास के शुक्ल पक्ष में एक बहुत बड़ा मेला लगता है। पंचमी से प्रारंभ होने वाला यह मेला पांच दिन रहता है और नवमी के दिन मां नंदा और सुनंदा का डोला शहर भर में धूमधाम से घुमाने और फिर विसर्जित कर देने के बाद समाप्त हो जाता है।

राजकीय संग्रहालय 
बस अड्डे के पास ही अल्मोड़ा संग्रहालय स्थित है, जिसे गोविंद वल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। यहां मध्य हिमालय के ऐतिहासिक, पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं का अद्भुत संग्रह है। इसके साथ ही कुमाऊं क्षेत्र की लोक चित्रकला ‘ऐंपसा’ की अनेक कृतियां भी यहां देखने को मिलती हैं।

ब्राइट एंड कॉर्नर 
अल्मोड़ा से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान से सूर्योदय और सूर्यास्त का बहुत ही मनभावन दृश्य दिखाई पड़ता है। सूर्योदय का दृश्य देखने के लिए सुबह से ही पर्यटक एकत्रित हो जाते हैं। इस स्थान के पास ही आकाशवाणी केंद्र, सर्किट हाऊस और विवेकानंद स्मारक भी हैं। सर्किट हाऊस के आसपास का माहौल इतना शांत है कि वहां कुछ समय बिताना बहुत ही अच्छा लगता है। विवेकानंद स्मारक भी दर्शकों के विशेष आकर्षण का केंद्र है।

डियर पार्क 
अल्मोड़ा से 3 किलोमीटर दूर नारायण तिवारी देवाल में स्थित यह एक बहुत ही रमणीय पार्क है। पिकनिक मनाने के लिए भी लोग प्राय: यहां आते हैं। पर्यटक शाम को टहलने और मंद हवाओं के मधुर झोंकों का आनंद लेने के लिए भी यहां आ सकते हैं।
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कालीमट 
अल्मोड़ा से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान भी प्राकृतिक सुषमा से भरा-पूरा है। यहां से भी आसपास की पहाडिय़ों का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। थोड़ी ऊंचाई पर होने के कारण यहां से अल्मोड़ा शहर के सुंदर दृश्यों को बखूबी निहारा जा सकता है।

सिमतोला 
यह अल्मोड़ा से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण होने के कारण यह एक अच्छा पिकनिक स्थल है। दूर-दूर तक फैली तथा चीड़ व देवदार के पेड़ों से ढंकी पहाडिय़ों को यहां से निहारना बहुत ही सुखद लगता है।

कसार देवी मंदिर 
कसार देवी का यह अति प्राचीन मंदिर कालीमट से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर है। चारों तरफ फैली हरियाली और इधर-उधर पड़े शिलाखंडों के पास से गुजरने पर एक अलग तरह का आनंद मिलता है।
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मारतोला 
अल्मोड़ा से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थान पर्यटकों को बेहद रास आता है। तरह-तरह के फलों, फूलों और उद्यानों-बागों वाले इस स्थान की प्राकृतिक सुषमा देखते ही बनती है।

चितई मंदिर
अल्मोड़ा शहर से 8 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर पर्वतीय लोगों की असीम आस्था का केंद्र है। वस्तुत: यह गोलू देवता का मंदिर है। इस मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालुओं द्वारा अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर टांगी गई अनगिनत घंटियां एक अलग दृश्य उपस्थित करती हैं। यहां के शांत वातावरण में खड़े होकर आसपास की पर्वत शृंखला के सुहावने दृश्य को निहारना बहुत ही सुखद महसूस होता है।

अल्मोड़ा के साथ-साथ इसके आसपास भी कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं: 

जोगेश्वर 
अल्मोड़ा शहर से 25 किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में गंगा नदी के किनारे बसा यह स्थान देवदार के ऊंचे और घने वृक्षों से घिरा होने के कारण बहुत ही सुहावना लगता है। इस स्थान का अधिक महत्व इसलिए है कि पूरे देश में प्रसिद्ध बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक यहां के शिव मंदिर में स्थापित है।
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कटारमल 
अल्मोड़ा से 17 किलोमीटर दूर स्थित इस स्थान पर एक पुराना सूर्य मंदिर है, जो पूरे देश में दूसरा सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर है। वैसे इस स्थान का महत्व यहां के शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी है।

बिनसर 
अल्मोड़ा से 30 किलोमीटर दूर स्थित इस शांत स्थान पर प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है। यहां से वे हिमाच्छादित पर्वत भी दिखाई पड़ते हैं, जो कतारबद्ध प्रतीत होने के कारण अधिक सुंदर लगते हैं। यहां एक प्रसिद्ध शिव मंदिर और पर्यटकों के लिए विश्रामगृह भी है।

अल्मोड़ा की कुदरती खूबसूरती का दीदार करने के लिए उपयुक्त समय अप्रैल के प्रारंभ से लेकर जून के मध्य तक और सितम्बर के मध्य से नवम्बर के मध्य तक रहता है। दूसरे शब्दों में यह कहें कि बरसात और ठंड के दिनों में वहां का वातावरण और मौसम पर्यटकों के लिए पूर्णत: अनुकूल नहीं रहता। जिन दिनों मैदानी भागों में भीषण लू चल रही होती है, उन दिनों भी यहां हल्की ठंड पड़ती है। इसलिए वर्ष के पूर्वाद्र्ध में जाते समय हल्के गर्म कपड़े और उत्तराद्र्ध में जाते समय अधिक गर्म कपड़े अपने साथ अवश्य ले जाने चाहिएं।

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दिल्ली, लखनऊ, नैनीताल, बरेली, देहरादून आदि नगरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़े होने के कारण देश के किसी भी स्थान से अल्मोड़ा पहुंचा जा सकता है। अल्मोड़ा का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। यहां आगरा, लखनऊ आदि स्टेशनों से सीधी एक्सप्रैस गाडिय़ां पहुंचती हैं। यहां से अल्मोड़ा तक की दूरी बस या टैक्सी द्वारा तय की जा सकती है।

अल्मोड़ा का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है। पंतनगर से अल्मोड़ा की 125 किलोमीटर की दूरी टैक्सी द्वारा तय की जा सकती है। इस प्रकार अल्मोड़ा की यात्रा के लिए विभिन्न विकल्प हैं, जिन्हें अपनी सहूलियत के अनुसार अपनाया जा सकता है।


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Niyati Bhandari

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