सोनिया नहीं, राहुल ने कर्नाटक में किया था समझौता

punjabkesari.in Sunday, May 27, 2018 - 08:18 AM (IST)

नेशनल डेस्कः सोनिया गांधी नहीं बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जद (एस) के साथ कर्नाटक में चुनाव के बाद गठबंधन को अमलीजामा पहनाया। चुनाव परिणाम अनिश्चित थे और यह कुछ ही समय में स्पष्ट हो गया था कि कांग्रेस बहुमत के अंक से काफी पीछे है। राहुल गांधी ने राज्य के नेताओं को इस संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने इन नेताओं के साथ योजना ए, बी और सी पर लंबी चर्चा की तथा यह फैसला किया कि अगर कांग्रेस जीतती नहीं तो हम क्या करेंगे।
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कर्नाटक के सत्ता खेल के अनुभवी व्यक्ति डी.के. शिवकुमार ने कुछ विश्वासपात्रों के साथ इस खेल के बारे में चर्चा की और दिल्ली में पार्टी नेतृत्व को बताया कि कांग्रेस का दक्षिण कर्नाटक में प्रदर्शन बहुत बुरा है, जहां जद (एस) प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है। राहुल ने यह स्पष्ट कर दिया कि अगर गिनती हमारे हक में नहीं तो पीछे हट जाओ। सत्ता के लिए कोई दावा या सौदेबाजी नहीं होगी।
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उन्होंने वेणुगोपाल को निर्देश दिया कि वह जद (एस) के साथ समझौते को अंतिम रूप दें। उन्होंने अशोक गहलोत और गुलाम नबी आजाद को इस काम के लिए तैनात किया कि वे एच.डी. कुमारस्वामी के विश्वासपात्र दानिश अली के साथ संपर्क बनाए रखें। कांग्रेस के एक वर्ग द्वारा यह प्रभाव दिया गया था कि सोनिया ने जद (एस) के साथ समझौता करने का फैसला किया है, राहुल ने नहीं। वास्तव में राहुल गांधी ने 13 मई रविवार को खुद कुमारस्वामी के साथ फोन पर बात की। अभी परिणाम आने में 2 दिन बाकी थे। बाद में सोनिया गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा को फोन किया और इसी प्रस्ताव को दोहराया।
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वास्तव में सिद्धरमैया विधानसभा में विपक्ष में बैठना चाहते थे लेकिन राहुल ने उन्हें इस बात के लिए मनवाया कि 2019 में आगे बहुत बड़ी चुनौती है। गुलाम नबी आजाद ने सिद्धरमैया को पार्टी के साथ रहने के लिए मनाया। बताया जाता है कि सोनिया गांधी ने देवेगौड़ा को यह कहते हुए मनाया कि 1997 में केन्द्र में उनकी सरकार से समर्थन वापस लेने में उनका कोई हाथ नहीं। कांग्रेस द्वारा समर्थन वापस लेने से देवेगौड़ा प्रधानमंत्री पद से हट गए थे।


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Seema Sharma

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