कर्नाटक गेम का असर अब राजस्थान भाजपा पर

punjabkesari.in Wednesday, May 23, 2018 - 01:55 PM (IST)

जालन्धर  (रविंदर): कर्नाटक में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद अब भाजपा हाईकमान ने उन प्रदेशों पर नजर टिका ली है, जहां इस वर्ष चुनाव आने वाले हैं। भाजपा के लिए सबसे बड़ी परेशानी राजस्थान को लेकर है जहां पिछले कुछ समय से सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश काफी देखने को मिल रहा है। इस साल आने वाले राजस्थान के चुनाव को लेकर हाईकमान अपनी पूरी ताकत झोंकने वाली है। राजस्थान में मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ भी हाईकमान का गणित कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। 


पिछले एक महीने से राजस्थान में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद खाली चल रहा है। सबसे पहले पार्टी अब राजस्थान में नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुट गई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के करीबी अशोक परनामी ने 2 लोकसभा व एक विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद 18 अप्रैल को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लोकसभा सीट अजमेर व अलवर को हारने के बाद तो प्रदेश में सरकार विरोधी लहर का असर साफ दिखाई देने लगा था। पार्टी हाईकमान भी चाहती थी कि जो एंटी इंकबैंसी सरकार के खिलाफ चल रही है, उसे जल्द निपटा दिया जाए। नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में भी इसलिए देरी हो रही है कि आजकल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का गणित हाईकमान के साथ ठीक नहीं चल रहा है। आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए हाईकमान अपनी मर्जी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना चाहता है तो वसुंधरा राजे अपनी मर्जी का, क्योंकि विधानसभा चुनाव में टिकटों की अलॉटमैंट का सारा जिम्मा प्रदेश अध्यक्ष के हाथ में होगा तो वसुंधरा राजे चाहती हैं कि प्रदेश अध्यक्ष उनकी मर्जी का ही हो। विधानसभा चुनाव के बाद ही 2019 का लोकसभा चुनाव भी भाजपा के लिए राजस्थान में काफी मायनेरखता है, क्योंकि 2014 में भाजपा ने यहां सभी 25 सीटों पर से जीत प्राप्त कीथी। 


भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजस्थान की कमान जोधपुर से सांसद व केंद्रीय राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सौंपना चाहते हैं, क्योंकि ये दोनों नेता केंद्रीय हाईकमान के नजदीक हैं तो इन दोनों नेताओं के नाम का वसुंधरा राजे विरोध कर चुकी हैं। राजे खेमा चाहता है कि किसी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश की कमान सौंपी जाए, जो युवा भी हो और उसकी ग्रास रूट पर पकड़ हो। साथ ही साथ वसुंधरा राजे प्रदेश में जाट-राजपूत गणित को भी फिट बैठाना चाहती हैं। नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम के साथ ही वर्करों का रुझान भी अपनी करवटें लेता दिखाई देगा, क्योंकि अगर वर्करों की मनपसंद का नेता इस पद पर बैठा तो आने वाले चुनावों के लिए वर्करों का मोराल भी हाई रहेगा। अगर भाजपा कर्नाटक में सरकार बनाने में सफल रहती तो केंद्रीय हाईकमान काफी हद तक अपने द्वारा चुने गए एक नाम को ही इस पद पर बिठा देती, मगर कर्नाटक की कुर्सी हाथ से जाते ही अब हाईकमान कुछ बैकफुट पर नजर आ रही है और राजे खेमे से अन्य नामों पर चर्चा चलने लगी है। इनमें से राजे खेमे से श्रीचंद कृपलानी, पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे, राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव व नारायण लाल पंचराइयां का नाम सामने आया है। 

 

कोई नहीं लेना चाहता हार का ठीकरा : कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट कहते हैं कि मौजूदा समय में भाजपा के अंदर प्रदेश अध्यक्ष की कमान कोई भी संभालने को तैयार नहीं है। वह कहते हैं कि क्योंकि भाजपा के नेता जानते हैं कि इस बार वे बुरी तरह से हारने वाले हैं तो हार का ठीकरा कोई भी नेता अपने सिर नहीं लेना चाहेगा। 


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Sonia Goswami

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