शी जिनपिंग से मिले पीएम मोदी, पारंपरिक तरीके से हुआ स्वागत

punjabkesari.in Friday, Apr 27, 2018 - 05:02 PM (IST)

वुहान (चीन): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच चीन के क्रांतिकारी नेता माओ त्से तुंग की पसंदीदा जगह वुहान में ‘‘दिल से दिल’’ की अनोखी बातचीत हुई। दोनों नेताओं के बीच हो रही इस दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर बैठक के दौरान द्विपक्षीय , वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी आज सुबह वुहान पहुंचे, जहां राष्ट्रपति शी ने उनका भव्य स्वागत किया। इसके तुरंत बाद दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘दोनों नेता रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से द्विपक्षीय संबंधों में हुए विकास की समीक्षा करेंगे।’’ वुहान स्थित हुबेई प्रोविंशियल म्यूजियम में आयोजित सांस्कृतिक समारोह देखने से पहले मोदी और शी ने हाथ मिलाया और तस्वीरें खिंचवाईं।
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पारंपरिक ढंग से हुआ स्वागत
गौरतलब है कि चीन के क्रांतिकारी नेता माओ त्से तुंग छुट्टियों में अक्सर वुहान और यहां स्थित ईस्ट लेक आना पसंद करते थे। सूत्रों ने बताया कि हुबेई प्रोविंशियल म्यूजियम में दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत शुरू हुई। इस संग्रहालय में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पुरावशेष मौजूद हैं। दोनों नेताओं के बीच इस अनौपचारिक शिखर बैठक को पिछले वर्ष 73 दिन तक चले डोकलाम गतिरोध के बाद भारत-चीन संबंधों को सुधारने और विश्वास बहाली के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

 

मोदी-जिनपिंग के बीच 5 से 6 बार होगी वार्ता

  • भोजन के बाद अकेले बैठक करने के बाद फिर से दोनों नेता वार्ता करेंगे जिसमें दोनों ओर से छह-छह आला अधिकारी भाग लेंगे।
  • दोनों नेता चर्चित ईस्ट लेक के किनारे रात्रि भोज करेंगे जो कि चीन के क्रांतिकारी नेता माओ का माओत्से तुंग का पसंदीदा अवकाश गंतव्य रहा है।
  • शनिवार को दोनों नेता झील के किनारे टहलेंगे, बोट में यात्रा करेंगे और भोज करेंगे।

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वार्ता होगी, समझौते पर हस्ताक्षर नहीं
दोनों नेताओं ने अपनी अनौपचारिक बैठकों की शुरुआत 2014 में की जब शी भारत गए और मोदी ने उनकी आगवानी गुजरात के साबरमती आश्रम में की। उसके बाद से दोनों नेता दर्जन भर अंतर्राष्ट्रीय बैठकों में मिल चुके हैं। लेकिन यह इनके बीच दिल से दिल तक की बातचीत का अनौपचारिक शिखर सम्मेलन होगा। इस दौरान किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होंगे और न ही कोई साझा बयान जारी किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन मुद्दों को सुलझाने पर सहमति बनाने का प्रयास है जो कि किसी समझौते की घोषणा के बजाए बाद की कार्रवाई पर होगा। दोनों नेताओं के बीच इस तरह का संवाद पहली बार हो रहा है।
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चौथी बार चीन यात्रा पर मोदी
वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी की यह चौथी चीन यात्रा होगी। वह 9 और 10 जून को क्विंगदाओ शहर में होने जा रहे एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने चीन जा सकते हैं। डोकलाम विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों में आई खटास को दूर करने के लिये हाल के समय में दोनों पक्षों ने कई कदम उठाए हैं। इस दिशा में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन की यात्रा की थी।
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मोदी-शी की मुलाकात से सैन्य संबंधों पर भी पड़ेगा असर
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( पीएलए ) ने कहा कि मोदी और शी के बीच दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर सम्मेलन दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को स्थिर बना सकता है, सीमाओं पर शांति बनाए रखने में मदद कर सकता है और मतभेदों को सुलझा सकता है। चीनी सेना के प्रवक्ता कर्नल वु किआन ने बीजिंग में मीडिया से कहा कि दोनों तरफ के लोग चाहते हैं कि चीनी और भारतीय सशस्त्र बलों के बीच संबंधों में स्थिरता आए और सीमाओं पर शांति कायम रहे।


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Seema Sharma

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