पढ़ें सचिन के संन्यास की वो स्पीच जिसे सुन सारा देश हो गया था इमोशनल

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 03:47 PM (IST)

जालन्धर : क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर 45 बरस पूरे कर चुके हैं लेकिन क्रिकेट के प्रति उनका जोश अभी तक खत्म नहीं हुआ है इस बात का प्रमाण बीते दिनों आई उनकी एक वीडियो भी है। वीडियो में सचिन मुंबई की एक सड़क पर क्रिकेट खेल रहे बच्चों को देखकर रुक जाते हैं। इससे पहले लड़के कुछ समझ पाते, सचिन उनसे बल्ला लेकर खुद बैटिंग करनी शुरू कर देते हैं। क्रिकेट के इस महान सपूत ने पांच साल पहले ही क्रिकेट से संन्यास लिया था। पढ़ें संन्यास के वक्त बोली गई उनकी स्वीच।

मेरे सारे दोस्तों। चुप करो जाओ मुझे बोलने दो। मैं अभी बहुत इमोशनल हूं। मेरी जिंदगी 24 साल तक 22 यार्ड में रही है। यह यकीन करना मुश्किल है कि यह खूबसूरत यात्रा अब खत्म होने को है। इस मौके पर मैं उन लोगों को याद करना चाहूंगा जिन्होंने मेरी जिंदगी में महत्वपूर्ण रोल अदा किया। इनकी संख्या इतनी है कि पहली बार मुझे एक लिस्ट बनाकर लानी पड़ रही है ताकि मैं किसी का नाम छोड़ न दूं। उम्मीद कररता हूं कि आप समझ जाओगे, यह थोड़ा मुश्किल जरूर होगा लेकिन मैं जानता हूं कि मैं उसे सहज ही कर लूंगा।

सचिन ने सबसे पहले अपने भरे हुए गले से उन लोगों को थैक्यूं बोला था जिनकी मोहब्बत ने सचिन को द ग्रेट सचिन बनाया। सचिन ने सबसे पहले अपने स्व. पिता रमेश तेंदुलकर का दिल से धन्यवाद किया और कहा कि अपने पापा की वजह से आज मैं यहां इस मैदान में आपके बीच खड़ा हूं। उनके बिना तो जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उनके सपोर्ट से ही आज मैं सचिन रमेश तेंदुलकर बन पाया हूं। मुझे पता है कि वह आज मेरे पास नहीं है लेकिन वह जहां भी है मेरे साथ हैं और हमेशा रहेंगे।

मेरी मां ने कभी नहीं जाना कि क्रिकेट क्या चीज है। जहां तक मैं समझता हूं कि मेरे जैसे बच्चे को बड़ा करने में उन्हें काफी पापड़ बेलने पड़े होंगे लेकिन मां हर तरह से मेरे साथ रहीं। मां ने एक खिलाड़ी होने के नाते मेरे स्वास्थ्य और खानपान का पूरा ध्यान रखा। धन्यवाद मां।

सचिन ने कहा कि उनकी बड़ी बहन सविता ने ही उन्हें सबसे पहला बैट गिफ्ट किया था। वह अपनी बहन, उनके परिवार, अपने सबसे बड़े भाई नितिन और अजीत को धन्यवाद देना चाहते हैं। सचिन के मुताबिक उन्होंने अजीत के साथ ही एक क्रिकेट खिलाड़ी बनने का सपना पाला था और इसमें अजीत ने अहम योगदान दिया। सचिन ने कहा कि मैं अजीत से बहुत बहस करता था लेकिन यह अजीत ही है कि उन्होंने मेरे गुस्से और बहस को सहते हुए मुझे मेरे करियर को नई दिशा दी।

सचिन ने कहा कि मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल 1991 में आया जब मेरी जिंदंगी में अंजलि पत्नी बनकर आयी। अंजलि डॉक्टर थी लेकिन मेरे क्रिकेट की वजह से और मेरे बच्चों के लिए अंजलि ने अपने करियर को छोड़ दिया, मेरे गुस्से, मेरी नाराजगी को पूरी तरह से झेलते हुए मुझे हर पल संभाला। अंजलि ने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली और मुझे आजाद कर दिया देश और दुनिया घूमकर क्रिकेट खेलने के लिए। मैं समझता हूं कि अगर अंजलि नहीं होतीं तो मेरा करियर ऐसा नहीं होता। धन्यवाद अंजलि।

बच्चों का धन्यवाद सचिन ने अपने बच्चों को धन्यवाद दिया। ऐसा करते हुए सचिन अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके और उन्हें छुपाने के लिए पानी का सहारा लिया। अंजलि भी अपने आंखों से आंसू को नहीं रोक पाईं। सचिन ने कहा कि आज मेरे बच्चे बड़े हो गये हैं। सारा 16 की और अर्जुन 14 साल का हो गया है लेकिन इन्होंने कभी भी मुझसे शिकायत नहीं की, क्योंकि मैं इन्हें समय नहीं दे पाता था। उनके बर्थडे और स्कूल फंक्शन में नहीं पहुंच पाता था लेकिन कभी सारा-अर्जुन ने मुझे नहीं रोका। मैं आज आपसे वादा करता हूं कि आने वाले 16 और 14 साल तक मैं हर वक्त आपके साथ रहूंगा।

शायद सचिन, सचिन नहीं होता... और अंत में सचिन ने देश के सभी देशवासियों, स्टेडियम में मौजूद लोगों का शुिक्रया अदा किया और कहा कि दोस्तों आपका प्यार और हौसला नहीं होता तो शायद सचिन, सचिन नहीं होता, इसलिए थैंक्यू थैक्यू एंड थैंक्यू। आपको बता दूं कि समय खत्म हो जाता है लेकिन यादें कभी भी खत्म नही होतीं। मेरे कानों में हमेशा एक आवाज गूंजती रहेगी.. सचिन, सचिन। इसके बाद फिर से वानखेड़े स्टेडियम में फिर से सचिन, सचिन की आावाज गूंजने लगी। इसके बाद सचिन ने विराट कोहली के कंधे पर बैठकर भारतीय टीम के अपने साथियों के साथ तिरंगा हाथ में लेकर मैदान का चक्कर लगाया और फिर हमेशा के लिए क्रिकेट को बॉय-बॉय बोल दिया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Punjab Kesari

Recommended News

Related News