''जहां झुग्‍गी-वहीं मकान'' को लेकर राज्‍य सरकारें गंभीर नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 02:04 PM (IST)

नई दिल्‍लीः मोदी सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 'जहां झुग्‍गी-वहीं मकान' बनाना चाहती है लेकिन राज्‍य सरकारें इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। केवल गुजरात को छोड़कर किसी भी राज्‍य ने ऐसे प्रोजेक्‍ट तैयार नहीं किए हैं। राज्‍य सरकारों का सारा फोकस अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स और बेनिफिशियरी लेड कंस्‍ट्रक्‍शन पर है। इसके चलते केंद्र ने राज्‍यों से कहा है कि वे शहरों को स्‍लम मुक्‍त करने के लिए झुग्‍गी वासियों को पक्‍के मकान बना कर दें।

क्‍या है यह योजना 
प्रधानमंत्री आवास योजना (अर्बन) के तहत 4 कैटेगिरी में मकान बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक कैटेगिरी है, आईएसएसआर। इसका मकसद शहरों को स्‍लम मुक्‍त करना है। इन-सिटू स्‍लम रिहेबलिटेशन (आईएसएसआर) के तहत स्‍लम बस्तियों में रह रहे लोगों को वहीं पर पक्‍के मकान दिए जाते हैं। स्‍लम बस्‍ती चाहे सरकारी जमीन पर बसी हो या प्राइवेट लैंड पर। उस जगह पर रह रहे झुग्‍गी वासियों को कुछ दिनों के लिए अस्‍थायी तौर पर कहीं और बसाया जाता है और वहां डेवलपर द्वारा पक्‍के मकान बनाए जाते हैं, जिसे बाद में झुग्‍गी वासियों को सौंप दिए जाते हैं, जबकि डेवलपर को एक्‍सट्रा एफएआर दिया जाता है। साथ ही, 1 लाख रुपए प्रति घर भी केंद्र सरकार द्वारा डेवलपर को दिया जाता है। एक्‍सट्रा एफएआर को डेवलपर अपने हिसाब से डेवलप करके बेच सकता है। 

गुजरात में बन रहे हैं ऐसे प्रोजेक्‍ट 
मिनिस्‍ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि आईएसएसआर के तहत केवल गुजरात में प्रोजेक्‍ट बन रहे हैं। पिछले दिनों हुई सेंट्रल सेंक्‍शनिंग एंड मॉनीटरिंग कमेटी (सीएसएमसी) की बैठक में गुजरात की ओर से दो शहरों में 14,105 घर बनाने के लिए 42 प्रोजेक्‍ट्स का प्रपोजल रखा गया। बैठक में इन प्रपोजल को मंजूरी दे दी गई और निर्णय लिया गया कि गुजरात को जल्‍द ही केंद्रीय सहायता की पहली किस्‍त का 40 फीसदी हिस्‍सा (56.42 करोड़ रुपए) जारी कर दिया जाएगा। 

राज्‍यों को होता है फायदा 
मिनिस्‍ट्री अधिकारियों ने कहा कि आईएसएसआर एक प्रभावशाली कंपोनेंट है, जिससे हाउसिंग फॉर ऑल और स्‍लम फ्री इंडिया जैसे मिशन को पूरा किया जा सकता है, लेकिन राज्‍य सरकारें इस ओर ध्‍यान नहीं दे रही है। जबकि इस तरह के प्रोजेक्‍ट्स राज्‍य सरकारों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। ऐसे प्रोजेक्‍ट्स के लिए महंगी जमीन की जरूरत नहीं  पड़ती। जमीन उपलब्‍ध होती है और घर बनाने के लिए डेवलपर को तैयार कर लिया जाए तो राज्‍य सरकारों को कंस्‍ट्रक्‍शन पर भी खर्च नहीं करना पड़ता। राज्‍य सरकारों का काम ऐसे प्रोजेक्‍ट्स की मॉनिटरिंग करना होता है। 


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jyoti choudhary

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