पावरकॉम के लिए पसीना छुड़ाने वाली होगी इस साल की गर्मी

punjabkesari.in Monday, Apr 23, 2018 - 10:42 AM (IST)

होशियारपुर(अमरेन्द्र): बादल सरकार के दौरान पावर सरप्लस वाले राज्य का दर्जा पाने वाले पंजाब की इन गर्मियों में बिजली सप्लाई की मांग पूरी करना पावरकॉम के पसीने छुड़ा देगा।

इसका बड़ा कारण जहां पावरकॉम की ओर से बठिंडा और रोपड़ थर्मल पावर प्रोजैक्ट के 6 यूनिट बंद कर देना है वहीं राज्य सरकार की ओर बनती सबसिडी का भुगतान तय समय पर न मिलने के कारण पावरकॉम के लिए बिजली खरीद करना भी आसान नहीं होगा। ऐसे में राज्य की जनता को पावर कट्स का सामना करना पड़ सकता है। बठिंडा के 4 और रोपड़ थर्मल प्लांट के 2 यूनिट बंद होने से पावरकॉम की थर्मल पावर जनरेशन सीधे तौर पर 880 मैगावाट कम हो गई। मौसम विभाग के अनुसार इस साल होशियारपुर समेत समूचे उत्तर भारत में जबरदस्त गर्मी पड़ेगी। होशियारपुर में अप्रैल महीने के अंत तक पारा 40 डिग्री तक पहुंचने के आसार हैं। 

क्या है बिजली खपत की स्थिति
गौरतलब है कि होशियारपुर पावरकॉम सर्कल में इस समय बिजली की मांग व खपत में भारी अंतर है। पावरकॉम से प्राप्त जानकारी के अनुसार होशियारपुर सर्कल में इस समय डोमैस्टिक व कमर्शियल कनैक्शन की संख्या जहां 4 लाख 90 हजार है वहीं ट्यूबवैल कनैक्शन की संख्या 65 हजार से भी अधिक है। इन सभी कनैक्शन के लिए पीक सीजन में बिजली की मांग 1100 मैगावाट हुआ करती है। 

क्या कहते हैं पावरकॉम के जानकार
पावरकॉम जानकार बताते हैं कि राज्य में पावर डिमांड की पीक फिगर 11,700 मैगावाट रही। चूंकि पावर सैक्टर में हर साल करीब 10 फीसदी की मांग बढऩे का अनुमान होता है। इस बार यह आंकड़ा करीब 12,300 मैगावाट होने की संभावना जताई जा रही है। पिछले साल पावरकॉम ने करीब 5600 मैगावाट बिजली अपनी थर्मल और हाइड्रो जनरेशन से जुटाई, जबकि बाकी बिजली बाहरी पावर सप्लाई कंपनियों से खरीदी, वहीं बैंकिंग सिस्टम से भी बिजली हासिल की। पावरकॉम जानकार बताते हैं कि मौजूदा समय में पावरकॉम की ट्रांसमिशन कैपेसिटी 6100 मैगावाट है, जो आने वाले समय में कम पड़ सकती है। 

जानकार उठा रहे सवालिया निशान
ऐसी स्थिति में अब पावर सैक्टर माहिर सवाल उठाते हैं कि जहां पावरकॉम ने अपने 6 यूनिट बंद करके थर्मल जनरेशन 880 मैगावाट कम कर ली और इस साल बिजली की डिमांड में 10 फीसदी बढ़ौतरी भी होनी है तो कम ट्रांसमिशन कैपेसिटी के कारण पावरकॉम के लिए डिमांड पूरी करना काफी कठिन होगा और राज्य में पावरकट लगाने पड़ सकते हैं। यही नहीं, मौसम विभाग भी पूर्वानुमान लगा चुका है कि इस बार मानसून कमजोर होगा। इसी कारण पंजाब के हाइड्रो प्रोजैक्टों में पावर जनरेशन पिछले साल के मुकाबले कम रहने की आशंका जताई जा रही है।

बैंकिंग सिस्टम पर पड़ेगी राजनीतिक मार
देश में अगले साल लोकसभा चुनाव है तो इस साल के अंत में मध्यप्रदेश व राजस्थान में विधानसभा चुनाव भी हैं। जानकार बताते हैं कि जिस राज्य में जब चुनाव हो, तब उस राज्य की सरकार अपना वोट बैंक बचाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा बिजली खरीदती है। ऐसे में इस साल सभी राज्य बिजली खरीद में कंजूसी नहीं बरतेंगे। इस कारण पंजाब चाहने पर भी पूरी बिजली खरीद नहीं कर सकेगा। 


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swetha

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