मार्च 2018 में रैडीमेड गारमैंट एक्सपोर्ट में 18.85 प्रतिशत की भारी गिरावट ने निर्यातकों के उड़ाए होश

punjabkesari.in Monday, Apr 23, 2018 - 09:34 AM (IST)

लुधियाना(बहल) : भारत सरकार द्वारा रैडीमेड गारमैंट इंडस्ट्री के निर्यात पर ड्यूटी ड्रा बैक में कटौती के फैसले के बाद से एक्सपोर्ट ग्राफ में लगातार गिरावट का दौर जारी है। वर्ष 2018 के जनवरी माह में रैडीमेड गारमैंट के निर्यात में 14.36 फीसदी और फरवरी में 13.86 फीसदी की गिरावट दर्ज होने के बाद मार्च में 18.85 फीसदी की भारी गिरावट ने निर्यातकों की चिंता बढ़ा दी है।
 

अप्रेल एक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल के आंकड़ों के मुताबिक विश्व बाजार में भारतीय रैडीमेड गारमैंट के वर्ष 2016-17 में अप्रैल से मार्च तक 1,16,554.1 करोड़ रुपए के निर्यात के मुकाबले वर्ष 2017-18 में इस अवधि के दौरान 1,07,698.8 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ है, जिससे 2016-17 के मुकाबले 2017-18 में भारतीय मुद्रा में 7.60 प्रतिशत और यू.एस. डॉलर में 3.83 प्रतिशत की माह दर माह गिरावट दर्ज हुई है। मार्च 2017 में 11946.37 करोड़ के रैडीमेड गारमैंट निर्यात के मुकाबले मार्च 2018 में 9694.68 करोड़ रुपए का निर्यात होने से 18.85 प्रतिशत की भारी गिरावट ने अप्रेल एक्सपोर्ट को नैगेटिव जोन की तरफ धकेलना शुरू कर दिया है। निटवियर एंड अपैरल एक्सपोर्ट संघ के अध्यक्ष हरीश दुआ और मिलियन एक्सपोर्टर के एम.डी. नरेंद्र चुघ का कहना है कि भारतीय अपैरल इंडस्ट्री देश के कुल निर्यात में 15 प्रतिशत योगदान देती है और पिछले कई वर्षों से 7 से 8 फीसदी ग्रोथ दर्ज कर रही गारमैंट एक्सपोर्ट सरकारी नीतियों के कारण रिवर्स गियर में चली गई है। 

गारमैंट एक्सपोर्ट में गिरावट की यह रही मुख्य वजह 
नरेंद्र चुघ और हरीश दुआ का कहना है कि गारमैंट एक्सपोर्ट में गिरावट की मुख्य वजह में निर्यातकों का पुराना वैट रिफंड रुकना, जी.एस.टी. रिफंड और आर.ओ.एस.एल. रिफंड में देरी से फंड क्रंच पैदा होना है। भारत सरकार द्वारा केंद्र और राज्य स्तर पर मिलने वाले एक्सपोर्ट इंसैंटिव को 11.2 फीसदी से घटाकर 3.5 फीसदी करने से भारतीय निर्यातक बैकफुट पर आ गए हैं। भारतीय अपैरल इंडस्ट्री को बंगलादेश और वियतनाम की चुनौतियों का सामना भी करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि वर्ष 2012 से 2016 के दौरान इन दोनों देशों ने भारत के 7 प्रतिशत के मुकाबले 15 फीसदी सालाना दर से एक्सपोर्ट में ग्रोथ हासिल की है। बंगलादेश को यूरोपीय देशों के साथ मुक्त व्यापार संधि से मिलने वाले अतिरिक्त फायदे के अलावा ऊंची प्रोडक्शन और सस्ती लेबर ने भारतीय इंडस्ट्री को पछाड़ दिया है। 


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