खस्ता हालत पुल दे रहे हादसों को न्यौता,विभाग की चुप्पी पर खड़े होने लगे सवाल

punjabkesari.in Monday, Apr 23, 2018 - 09:30 AM (IST)

मोगा (पवन ग्रोवर): पंजाब में दिनों-दिन बढ़ रहे हादसों के विभिन्न कारणों में से एक बड़ा कारण पंजाब की नहरों, कस्सियों व ड्रेनों समेत अन्य स्थानों से गुजर रहे खस्ता हालत पुल बन रहे हैं। मोगा में इन पुलों की गिनती दर्जनों है। हैरानीजनक पहलू तो यह है कि इन पुलों के आसपास दीवारें करने के लिए कई बार मामला सामाजिक संगठनों, गांवों की पंचायतों तथा अन्य गण्यमान्यों ने जिला प्रशासन व पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों तक पहुंचाया है, लेकिन अभी तक मानवीय जानों का खौफ बने इन खस्ता हालत पुलों के कारण पेश आ रही मुश्किलों के हल के लिए सरकारी तौर पर जरूरी कदम नहीं उठाए गए, जिस कारण यह सिलसिला घटने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।

‘पंजाब केसरी’ द्वारा एकत्रित की गई जानकारी के अनुसार खस्ता हालत पुलों के साथ-साथ इनमें से कुछ पुल ऐसे भी हैं, जिनकी मियाद गुजर चुकी है। गांव रनियां के नौजवान तथा एस.सी. विंग जिला मोगा के सीनियर उपाध्यक्ष जसवंत सिंह रनियां ने बताया कि गांव रनियां से राऊंके कलां को जाती लिंक सड़क पर पड़ती अबोहर ब्रांच नहर पर बेहद पुराना बना दोपहिया वाहनों के गुजरने वाला छोटा पुल मियाद खत्म कर चुका है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को इस पुल की दयनीय हालत संबंधी पता है वे तो बड़े पुल के ऊपर से ही गुजरते हैं, लेकिन फिर भी कभी-कभार अचानक कोई दोपहिया वाहन चालक या पैदल चलने वाला व्यक्ति इस पुल से गुजर जाता है, जिस कारण यह पुल कभी भी किसी मानवीय जान के लिए घातक बन सकता है।

उन्होंने मांग की कि अंग्रेजों के समय के बने इस पुल की सुध ली जाए। गांव लोपों के नजदीक से गुजरती ड्रेन पर एक तरफ की रेङ्क्षलग टूटी होने की समस्या वर्षों पुरानी है। गांव के नौजवान अजमेर सिंह लोपों का कहना है कि टूटी रेलिंग कारण किसी समय भी कोई अनहोनी हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस पुल पर पक्की रेलिंग बनानी जरूरी है। जिले की सब डिवीजन धर्मकोट अधीन पड़ते बड़े गांव भिंडर कलां में से गुजरती नहर की कस्सी के दोनों तरफ रेलिंग नहीं है।

गांव के नौजवान कुलविन्द्र सिंह मान का कहना है कि कस्सी की रेलिंग न होने के कारण पिछले सालों दौरान हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन विभाग की आंख फिर भी नहीं खुली। उन्होंने कहा कि गांव के लोग अपने कामकाजों के लिए इस पुल वाले रास्ते से ही अपनी मंजिल पर पहुंचते हैं, लेकिन फिर भी लोगों की इतनी आवाजाई को देखते हुए विभाग ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।


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Anjna

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