CJI के खिलाफ महाभियोग नोटिस को लेकर उपराष्ट्रपति नायडू ने कानूनविदों के साथ की बैठक

punjabkesari.in Monday, Apr 23, 2018 - 05:18 AM (IST)

नेशनल डेस्कः उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पद से हटाने संबंधी कांग्रेस और कई विपक्षी दलों की ओर से दिए गए नोटिस पर रविवार को अटार्नी जनरल के.के वेणुगोपाल सहित संविधानिदों और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया। राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने याचिका को स्वीकारने अथवा ठुकराने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी. के मल्होत्रा समेत अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली। माना जा रहा है कि उपराष्ट्रपति जल्द ही विपक्षी दलों के इस नोटिस पर कोई फैसला करेंगे।

नायडू ने कार्यक्रम रद्द कर कानूनविदों के साथ की बैठक
अधिकारियों के अनुसार नायडू ने मामले की गंभीरता के मद्देनजर रविवार को हैदराबाद के अपने कुछ कार्यक्रमों को रद्द कर कानूनविदों के साथ बैठक की। राज्यसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव मल्होत्रा और विधायी मामलों के पूर्व सचिव संजय सिंह से नायडू ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने राज्यसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार-विमर्श किया और वह सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सुदर्शन रेड्डी से भी मुलाकात कर सकते हैं।

कांग्रेस ने शुक्रवार को समेत 7 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू को सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया के नियमों के अनुसार विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए उन्हें न्यायविदों की 3 सदस्यों की एक समिति का गठन करना होगा।

वहीं कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि अगर मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को राज्यसभा के सभापति एम. वेकैंया नायडू ठुकराते हैं तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि सभापति के फैसले को चुनौती दी जा सकती है। इसकी न्यायिक समीक्षा हो सकती है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस उम्मीद के साथ सीजेआई पर नैतिक दबाव बना रही है कि महाभियोग प्रस्ताव पेश किए जाने पर वह अपने न्यायिक उत्तरयायित्व से अलग हो जाएंगे। दरअसल, महाभियोग नोटिस को स्वीकार किए जाने से पहले इसकी बातों को सार्वजनिक करने संसदीय नियमों का उल्लंघन माना जा सकता है और इस आधार पर नायडू नोटिस को अस्वीकार कर सकते हैं। 
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Yaspal

Recommended News

Related News