बिलासपुर अस्पताल में बड़ी लापरवाही, दुनिया में आने से पहले ही चल बसा मासूम

punjabkesari.in Sunday, Apr 22, 2018 - 04:53 PM (IST)

बिलासपुर (मुकेश): बिलासपुर जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पर प्रसव के लिए भर्ती करवाई गई महिला के पेट में नवजात बेटी की दम घुटने से मौत हो गई। जबकि मां की जान को निजी अस्पताल में ऑपरेशन कर परिजनों ने बचा लिया। जिससे एक बात तो साफ है कि सरकार के जच्चा, बच्चा के सुरक्षित रखने के दावे हवा होते दिख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल बिलासपुर में 20 अप्रैल को जुखाला की हेमा देवी को प्रसव को लेकर भर्ती करवाया गया था। पहले दिन जहां डॉक्टर ने उसे व होने वाले बच्चे को स्वस्थ बताया। वहीं दूसरे दिन सुबह उपस्थित डॉक्टर व स्टाफ नर्स ने सामान्य प्रसव होने की बात कह कर उनके परिजनों को रूम से बाहर कर दिया। 


हेमा के पति जितेंद्र सिंह ने बताया कि जब उनकी पत्नि की हालत गंभीर होने लगी तो उपस्थित स्टाफ नर्स ने परिजनों को अपने मरीज से भी मिलने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हम स्टाफ के कामकाज में दखल नहीं देना चाहते थे। लेकिन भारी प्रसव की पीड़ा से कराह रही महिला के परिजनों ने जब नर्स को डॉक्टर को बुलाने की प्रार्थना की तो उसने बात सुननी तो दूर भद्दी गालियां और धक्के मार कर बाहर निकाल दिया। चंद ही मिनटों में जो स्टाफ सामान्य प्रसव होने की बात कह रहे थे। वह कहने लगे कि महिला का प्रसव यहां पर साधन के अभाव के चलते नहीं हो सकता। इसलिए इन्हें यहां से ले जाओ। परिजन उन्हें बिलासपुर स्थित निजी अस्पताल ले गए। जब वहां अल्ट्रासाउंड किया गया तो पता चला कि 20 मिनट पहले ही बच्चा पेट में दम घुट कर मर चुका था। डॉक्टर ऐसी परिस्थिति में बच्चे को तो नहीं बचा पाए, लेकिन मां को बचा लिया। 


परिजनों का कहना है कि अगर अस्पताल में प्रसव के साधन नहीं थे तो उन्होंने अस्पताल में भर्ती क्यों किया। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर व स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। गुस्साए परिजनों ने कहा कि इस घटना से जिला अस्पताल के सीएमओ को भी अवगत करवाया। लेकिन अभी तक यहां प्रबंधन ने कार्यरत स्टाफ के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं एक अन्य तमीरदार मदनलाल का भी कहना है कि इसी दिन उनकी पत्नि निशा कुमारी का भी प्रसव होना था, लेकिन उन्हें भी यहां से निजी अस्पताल का ही रूख करना पड़ा। हालांकि उनका बच्चा व पत्नी सुरक्षित है। लेकिन डॉक्टरों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं।


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Ekta

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