चाणक्य नीति- दंड उचित हो

punjabkesari.in Sunday, Apr 22, 2018 - 12:03 PM (IST)

चाणक्य से बड़ा विद्वान शायद ही भारत के इतिहास में कोई दूसरा रहा हो। इन्होंने महाराज चंद्रगुप्त को अखंड़ भारत का सम्राट बनने में सहायता की और विशाल साम्राज्य की प्रजा के मार्गदर्शन के लिए एक नीतिशास्त्र की रचना की थी जिसे आज 'चाणक्य नीति' के नाम से जाना जाता है। चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के द्वारा सैकड़ों ऐसी नीतियां कही थीं जिन्हें पढ़ने और समझने से इंसान का जीवन सही राह पर चल सकता है। 


श्लोक-
यथार्ह दंडकारी स्यात्।
अर्थात- जो राजा उचित दंड देने की व्यवस्था करता है, प्रजा उससे स्नेह करती है। जैसा अपराध हो, वैसा ही दंड हो परन्तु उसमें बदले की भावना न होकर सुधार की भावना होनी चाहिए। अपराधी को भी पश्चाताप का अवसर मिलना चाहिए।


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Jyoti

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