लाल किताब के अनुसार क्या करें-क्या न करें?

punjabkesari.in Saturday, Apr 21, 2018 - 10:31 AM (IST)

कभी-कभी दान देना भी व्यक्ति के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है, अगर उसकी जन्म पत्रिका में दान करने के योग न हों तो। लाल किताब में ऐसे बहुत से योगों का वर्णन है, जिनका अगर हम पालन करें तो अनेक संकटों से बच सकते हैं। इसमें यह बताया गया है कि हमें कौन-सी वस्तु दान करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए।


यदि जन्म कुंडली के साथ वर्ष फल में भी कोई ग्रह विशिष्ट रूप से आ जाए अथवा जो ग्रह व्यक्ति की जन्मकुंडली में उच्च का हो और अपने स्थायी घर में विद्यमान हो तो उस ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान उस व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। ऐसा दान देना भयंकर हानि का कारण बन सकता है।


यदि जन्म पत्रिका में किसी ग्रह को उच्चत्व प्राप्त है तो उस ग्रह से संबंधित कोई भी वस्तु दान न लें। यदि आपकी जन्म पत्रिका में किसी ग्रह को नीचत्व प्राप्त है तो उस ग्रह से संबंधित कोई भी वस्तु बिना मूल्य के न लें।


सूर्य के उच्च होने पर गुड़ या गेहूं का दान नहीं करना चाहिए। मंगल के उच्च होने पर मीठी वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। उच्च के बुध वाले व्यक्ति को कलम का दान और घड़े का दान नहीं करना चाहिए। बृहस्पति के उच्च होने पर पीली वस्तु, चने की दाल, सोना और पुस्तक का दान नहीं करना चाहिए। शुक्र के उच्च होने पर परफ्यूम व रैडीमेड कपड़ों का दान नहीं करना चाहिए। शनि के उच्च होने पर अंडा, मांस, तेल व काले उड़द दान नहीं करने चाहिए।


यदि आपकी जन्म पत्रिका में चंद्र चतुर्थ भाव में है तो आपको कभी भी दूध, जल अथवा दवा का मूल्य नहीं लेना चाहिए।


यदि आपकी पत्रिका में गुरु सातवें भाव में हो तो आपको कभी भी कपड़े का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा स्वयं वस्त्रहीन हो जाएंगे। अर्थात आप पर इतना अधिक आर्थिक संकट आ जाएगा कि आपके पास स्वयं के पहनने के लिए कपड़े भी नहीं बचेंगे।


यदि आपकी जन्मपत्रिका में शनि आठवें भाव में हो तो कभी भी भोजन, वस्त्र या जूते आदि का दान नहीं करना चाहिए।


यदि सूर्य सातवें या आठवें घर में विद्यमान हो तो जातक को सुबह-शाम दान नहीं करना चाहिए। उसके लिए विष पान के समान साबित होगा।


यदि शनि प्रथम भाव में तथा बृहस्पति पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति द्वारा तांबे का दान करने पर संतान नष्ट हो जाती है।


अष्टम भावस्थ शनि होने पर मकान बनवाना मृत्यु का कारक होगा।


जन्मपत्री में केतु सातवें भाव में हो तो लोहे का दान नहीं करना चाहिए।


जन्मपत्री के चौथे भाव में मंगल बैठा हो तो वस्त्र का दान नहीं करना चाहिए। 


राहू दूसरे भाव में हो तो तेल व चिकनाई वाली चीजों का दान नहीं करना चाहिए। 


सूर्य-चंद्रमा ग्यारहवें भाव में हो तो शराब-कबाब का सेवन न करें, नहीं तो आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी।


सूर्य-बुध की युति ग्यारहवें भाव में हो तो अपने घर में किराएदार नहीं रखना चाहिए।


बुध यदि चौथे भाव में हो तो घर में तोता नहीं पालना चाहिए। यदि पालें तो माता को कष्ट होता है।


जन्मपत्रिका के भाव तीन में केतु हो तो जातक को दक्षिणामुखी घर में नहीं रहना चाहिए।


यदि जन्मपत्रिका के किसी भाव में बुध-शुक्र की युति हो तो गद्दे पर न सोएं।


यदि भाव पांच में गुरु बैठा हो तो धन का दान नहीं करना चाहिए।


एक बार भवन निर्माण शुरू हो जाए तो उसे बीच में न रोकें। अन्यथा अधूरे मकान में राहु का वास हो जाएगा।


चतुर्थी (4) नवमी (9) और चतुर्दशी (14) को नया कार्य आरंभ न करें क्योंकि यह रिक्ता तिथि होती है। इन तिथियों को कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।
 


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Niyati Bhandari

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