जानिए, क्या होता है महाभियोग प्रस्ताव, अब तक कभी पूरा नहीं हुआ

punjabkesari.in Friday, Apr 20, 2018 - 08:11 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कांग्रेस ने विपक्षी दलों के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू से मिलकर भारत के मुख्यन्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने की बात कही है। कांग्रेस के साथ वाम दल, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और एनसीपी ने भी दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने की बात कही है। कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति एम. वैंकेया से मिलकर महाभियोग का प्रस्ताव दे दिया गया है। भारतीय न्याय व्यवस्था के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव आया हो। इस तरह का यह पहला मौका है।


क्या है महाभियोग

  • महाभियोग राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजों को हटाने की एक प्रक्रिया है। इसका ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में मिलता है।सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज पर कदाचार, अक्षमता और भ्रष्टाचार को लेकर संसद के किसी सदन में जज के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है।
  • लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सदस्यों के पक्ष में हस्ताक्षर और राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होती है। जब किसी सदन में यह प्रस्ताव लाया जाता है तो यह प्रस्ताव पर सदन का सभापति या अध्यक्ष के पास अधिकार है कि वह इसे स्वीकार कर सकता है और खारिज भी।
  • सदन के सभापति या अध्यक्ष जो समिति बनाते हैं, वो जज पर लगे आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपती है, जिसके बाद जज को बचाव करने का मौका दिया जाता है। सभापति को जांच रिपोर्ट में अगर आरोप सही साबित पाए जाते हैं तो बहस प्रस्ताव  मंजूरी देते हुए सदन में वोटिंग कराई जाती है और इसके बाद ससंद के दोनों सदनों में  दो तिहाई बहुमत से जजों को हटाने का प्रस्ताव पारित हो जाता है। वहीं राष्ट्रपति के पास जज को हटाने की आखिरी शक्ति है और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जज को हटाया जाता है।


किस-किस के खिलाफ आया है महाभियोग

  • भारत में ऐसे मौके कई बार आए हैं जब जज के खिलाफ महाभियोग लाया गया हो, लेकिन कभी पूरा नहीं हो सका क्योंकि संबंधित जज ने इससे पहले इस्तीफा दे दिया या फिर महाभियोग का प्रस्ताव सदन में गिर गया।
  • सुप्रीम कोर्ट के जज वी रामास्वामी के खिलाफ 1993 में महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन यह प्रस्ताव लोकसभा में गिर गया।
  • 2011 में कोलकाता हाईकोर्ट के जज सौमेत्र सेन के खिलाफ महाभियोग लाया गया। लेकिन उन्होंने प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया।
  • सिक्किम हाईकोर्ट के मुख्यन्यायाधीश पीडी दिनाकरन के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी की गई। लेकिन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।
  • गुजरात हाईकोर्ट के न्याधीश जे.बी. पर्दीवाला के खिलाफ वर्ष 2015 में राज्यसभा के 53 सदस्य महाभियोग का प्रस्ताव लाए थे। नोटिस आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तिजनक टिप्पणी और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ एक मामले में फैसले को लेकर पर्दीवाला के खिलाफ महाभियोग लाया गया। जैसे ही सदस्यों ने महाभियोग का नोटिस तत्कालीन राज्यसभा चेयरमेन हामित अंसारी को सौंपा, उसके कुछ घंटों बाद ही पर्दीवाला ने अपनी टिप्पणी वापस ले ली थी।
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट के जज नागार्जुन रेड्डी पर एक दलित न्यायाधीश को प्रताड़ित करने के लिए पद का दुरुपयोग करने का आरोप था। जिसके बाद राज्यसभा के 61 सदस्यों द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया। लेकिन राज्यसभा के जिन 61 सदस्यों ने रेड्डी के खिलाफ महाभियोग शुरू करने का प्रस्ताव दिया था, उनमें से 9 सदस्यों ने अपने हस्ताक्षर वापस ले लिए थे। और महाभियोग गिर गया। 

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Yaspal

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