बोस और भगत सिंह के दीवाने 102 वर्षीय मुंशी राम का निधन
punjabkesari.in Friday, Apr 20, 2018 - 11:56 AM (IST)
कैथल(ब्यूरो): स्वाधीनता के लिए विदेशी हुकूमत में अंग्रेजों की नौकरी को ठोकर मारकर वतन के खेतों में दिहाड़ी-मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले 102 वर्षीय मुंशी राम नहीं रहे। कलायत हलके के किठाना गांव निवासी मुंशी राम कई वर्षों से कैथल स्थित जनकपुरी कालोनी में परिवार के साथ रह रहे थे। कुछ सामान की खरीदारी करने के बाद अचानक शहीद भगत सिंह चौक के पास अचेत होकर गिर पड़े। सैंकड़ों लोग बेसुध पड़े मुंशी राम के पास से गुजरते रहे, किसी ने कुशलक्षेम तक नहीं पूछा। सुनील राठी, सेवा सिंह, सुशील कुमार, कुलदीप सिंह और परिवार के दूसरे सदस्य उनकी तलाश करने लगे। रात्रि 9 बजे 2 युवक मुंशी राम को अचेत अव्यवस्था में जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। जानकारी पाकर परिवार के लोग भी वहां पहुंचे। जांच के बाद चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जांच में स्पष्ट हुआ कि करीब एक घंटा पहले उनकी सांसें टूटी। परिवार के सदस्यों ने बताया कि मुंशी राम आजाद हिंद फौज प्रमुख सुभाष चंद्र बोस और शहीद भगत सिंह जैसे सेनानियों के दीवाने थे। वे उर्दू भाषा में लिखते-पढ़ते थे। उम्र दराज होने के बाद भी कई-कई किलोमीटर पैदल चलना उनकी आदत थी तथा अक्सर युवा, महिलाएं और बड़े-बुजुर्ग उनसे गुलाम देश से जुड़ी वीरों की गाथाएं सुनते।
किठाना गांव में हुआ संस्कार
मुंशी राम हमेशा कहा करते थे कि जब वे दुनिया से अलविदा कहें तो उनका संस्कार गांव किठाना की भूमि पर किया जाए, क्योंकि इसी गांव में उन्होंने गुलामी से आजादी में बदलती देश की तस्वीर देखी। उनकी इस अभिलाषा के चलते परिजनों ने वरिष्ठ नागरिक को गांव स्थित श्मशान भूमि में अंतिम विदाई दी।
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