बसपा से अलग हुए विधायक टेकचंद शर्मा, पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा तलाशेंगे ‘नए घर’

punjabkesari.in Friday, Apr 20, 2018 - 10:34 AM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): इनेलो व बसपा में समझौता होने के बाद अब बसपा को हरियाणा में ब्राह्मणों को पटाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। बसपा ने इस घटनाक्रम में हरियाणा के 2 ब्राह्मण नेताओं को दरकिनार किया। वर्तमान परिस्थितियों में निस्संदेह ये दोनों ब्राह्मण नेता विधायक टेक चंद शर्मा व करनाल से पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा इसके साथ कहीं दिखाई नहीं देंगे जिसका अहम कारण है बसपा हरियाणा प्रभारी मेघराज द्वारा टेक चंद शर्मा को पार्टी से निलंबित करने की घोषणा करना। दूसरे ब्राह्मण डा. अरविंद शर्मा पिछले कई वर्षों से ठंडे बस्ते में हैं व पार्टी से उनका मोह भंग हो चुका है। हरियाणा के अंदर बसपा का परचम 2014 में डा. अरविंद शर्मा ने लहराया था व खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते थे। बसपा से मोहभंग हुए ब्राह्मण नेताओं विधायक टेक चंद शर्मा एवं पूर्व सांसद डा. अरविंद शर्मा को अब राजनीति में नए घर तलाशने पड़ेंगे। डा. अरविंद शर्मा पहले हरियाणा के शिक्षा मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता रामबिलास शर्मा के संग भी कई बार देखे गए मगर आधिकारिक रूप से उन्होंने भाजपा अभी तक ज्वाइन नहीं की है।

कांग्रेस के लिए वरदान बन सकते हैं जिग्नेश मेवानी
बसपा के प्रभाव को कम करने के लिए गुजरात के दलित नेता व युवा विधायक जिग्नेश मेवानी अब देशभर में तूफानी दौरे करके राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के माध्यम से दलित अधिकारों की लड़ाई लड़ने जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिग्नेश मेवानी ने हरियाणा व उ.प्र. से इस सिलसिले की शुरूआत कर दी है। हरियाणा के सामाजिक कार्यकत्र्ता एवं युवा वकील सुखविन्द्र नारा जैसे जाट व किसान नेता इनके साथ हैं। जिग्नेश मेवानी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी कांग्रेस में लाने के लिए प्रयासरत हैं। पिछले दिनों वह जींद में भी आए। हरियाणा में उनकी टीम सक्रिय हो चुकी है। गुजरात की राजनीति में एकाएक उभरे जिग्नेश मेवानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह क्षेत्र वडग्राम से 35 साल की आयु में पहली बार विधायक बने हैं। मेवानी निर्दलीय विधायक बने हैं और 19 हजार से ज्यादा मतों से जीतकर उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में हलचल इसलिए पैदा कर दी है क्योंकि इनके खिलाफ चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, उ.प्र. के सी.एम. योगी व गुजरात के सी.एम. विजय रूपानी ने ताबड़तोड़ जनसभाएं कीं मगर इन्हें हरा नहीं पाए। यही कारण है कि मेवानी की कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से नजदीकियां भी बढ़ रही हैं।

बसपा के पास नहीं कोई पंजाबी या ब्राह्मण चेहरा
बसपा के पास हरियाणा में कोई पंजाबी या ब्राह्मण मजबूत चेहरा जिसकी पहचान हरियाणा में हो फिलहाल नहीं है। जो चेहरे अब हैं वे अब इनेलो के साथ मंचों व कार्यक्रमों में अपनी पहचान स्थापित करेंगे। इनेलो का जनाधार पूरे हरियाणा में है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला संगठन को मजबूत करने और सांसद दुष्यंत व उनके भाई दिग्विजय युवा वर्ग एवं छात्र वर्ग में पैठ रखते हैं। इनेलो द्वारा 1 मई से शुरू होने वाले एस.वाई.एल. जलयुद्ध जेल भरो आंदोलन में अब बसपा की भी पूरी भागीदारी रहेगी। गठबंधन की इस किश्ती में आने वाले दिनों में मायावती भी हरियाणा में बड़ी रैली करके जनाधार मजबूत करने का काम कर सकती हैं।


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Nisha Bhardwaj

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