आज भी वानर कर रहें हैं हनुमान जी का इंतजार
punjabkesari.in Wednesday, Apr 18, 2018 - 10:12 AM (IST)
शिमलाः जाखू पहाड़ी पर समुद्र तल से लगभग 8048 फीट की ऊंचाई पर श्रीराम भक्त हनुमान जी का जाखू मंदिर स्थित है। यह मंदिर शिमला के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। यहां की सबसे खास व दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर में बहुत से वानर रहते हैं। इस आकर्षित व भव्य हनुमान मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है। कुछ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रामायण काल के दौरान जब मेघनाद द्वारा छोड़े बाण से श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब संजीवनी लेने गए हनुमान जी ने मार्ग में कुछ समय यहां ठहर कर विश्राम किया था।
आईए विस्तार में जानें इस मंदिर के बारे में-
विशाल प्रतिमा
जाखू मंदिर में भगवान हनुमान जी की 108 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है, जो वर्ष 2010 में स्थापित की गई थी।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीराम तथा रावण के बीच हुए युद्ध के दौरान मेघनाद के तीर से भगवान राम के अनुज लक्ष्मण घायल एवं मूर्छित हो गए थे। जब सब उपचार निष्फल हो गए तो वैद्यराज के कहने पर बजरंगबली हिमालय से संजीवनी बूटी लेने गए थे। मार्ग में उन्होंने याकू नामक ऋषि को एक पहाड़ी पर तपस्या करते देखकर उन्हें आदर सहित प्रणाम करके लक्ष्मण मूर्छा के बारे में बताया तो उन्होंने हनुमान जी को संजीवनी बूटी के विषय में जानकारी प्रदान की। प्रस्थान करने से पूर्व पवनपुत्र ने ऋषि याकू को यह वचन दिया कि संजीवनी लेकर लौटते समय वह उनसे अवश्य भेंट करेंगे। परंतु समयाभाव के कारण वह आश्रम में नहीं जा सके, ऋषि रूष्ट न हो इसलिए वह पलभर के लिए उनके आश्रम में प्रकट हो अंतरध्यान हो गए।
ऋषि याकू ने इसी पहाड़ी पर बजरंगबली की स्मृति में मंदिर का निर्माण करवाया। पहाड़ी पर जिस जगह पर पवनपुत्र हनुमान के चरण पड़े थे, वहां आज भी इन पद् चिन्हों को पाया जाता है। इन चिन्हों का संगमरमर के पत्थर से पुनर्निर्माण करवाया गया है।
अन्य किवदंति
शिमला के सबसे लोकप्रिय जाखू मंदिर के बारे में एक अन्य किवदंति भी प्रचलित है जिसके अनुसार हनुमान जब संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तब उन्होंने जाखू मंदिर पर विश्राम किया था।
थोड़ी देर विश्राम करने के बाद हनुमान अपने साथियों को यहीं पर छोड़ कर अकेले ही संजीवनी बूटी लाने के लिए निकल पड़े थे। उनके वानर साथियों ने यह समझकर कि बजरंगबली उनसे नाराज होकर अकेले ही गए हैं, उनका यहीं पहाड़ी पर वापस लौटने का इंतजार करते रहे। इसी के परिणामस्वरूप आज भी यहां व्यापक संख्या में वानर पाए जाते हैं।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कार्यकारी अध्यक्ष संजय अवस्थी व चंद्रशेखर को सौंपा ये दायित्व
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
पेट की जिद्दी चर्बी हो जाएगी गायब, रोज पिएं ये 5 Drinks
Lok Sabha Election 2024: अमेठी और रायबरेली सीट पर कांग्रेस ने नहीं खोले पत्ते, सीईसी की बैठक में नहीं हुई चर्चा