कैलाश-मानसरोवर यात्रा में पहली बार हो सकता है हेली सर्विस का प्रयोग

punjabkesari.in Sunday, Apr 15, 2018 - 01:19 PM (IST)

देहरादूनः उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 17 हजार फुट की उंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे से होकर जून में शुरू होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा में इस वर्ष पहली बार हेली सर्विस का प्रयोग किया जा सकता है। विदेश मंत्रालय ने पिथौरागढ़ ​जिला प्रशासन और भारतीय क्षेत्र में यात्रा की नोडल एजेंसी कुमांउ मंडल विकास निगम: केएमवीएन: को इस बारे में सूचित कर दिया है कि यात्रा मार्ग के कुछ हिस्से में सड़क निर्माण के कार्य अभी तक तक पूरे नहीं हो पाये हैं और ऐसे में जरूरत पड़ने पर श्रद्धालुओं को हेलीकॉप्टर से वह दूरी तय कराई जाए।  

 


पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी सी रविशंकर ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके पास विदेश मंत्रालय से इस संबंध में निर्देश आया है कि धारचूला से गुंजी तक सड़क निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पाने की स्थिति में हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि, अभी यह तय नहीं हो पाया है कि हेली सेवा का प्रयोग करने में आने वाला खर्च कौन वहन करेगा। हेली सर्विस का प्रयोग अभी तक मानसरोवर यात्रा में नहीं हुआ है। इस साल धारचूला से गुंजी तक 42 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था जिसमें लखनपुर नजम के हिस्से का निर्माण अभी पूरा नहीं हो पाया है। यह काम ग्रिफ के सौजन्य से किया जा रहा है। जिलाधिकारी रविशंकर ने बुधवार को नजम का दौरा कर लौटने के बाद बताया कि सड़क निर्माण में लगे ग्रिफ के अधिकारियों ने इस कार्य के मई तक पूरा हो जाने का भरोसा दिलाया है लेकिन इस बात को लेकर संशय बना हुआ है कि मानसून के शुरू होने तक यह कार्य पूरा हो पाएगा या नहीं। 

 

मानसरोवर यात्रा की नोडल एजेंसी कुमांउ मंडल विकास निगम भी यात्रा शुरू होने से पहले सड़क निर्माण का कार्य पूरा होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है लेकिन उसने अपनी तैयारियां पूरी होने का दावा किया। निगम के महाप्रबंधक त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने बताया कि यात्रा को लेकर के.एम.वी.एन की तैयारियां पूरी हैं। उन्होंने कहा, 'मानसरोवर यात्रा के लिए हमारी तैयारियां पूरी हैं।'  उन्होंने यह भी बताया कि यात्रा शुरू होने की संभावित तारीख बारह जून है पर अभी तक उनके पास विदेश मंत्रालय से इस संबंध में कोई औपचारिक कार्यक्रम प्राप्त नहीं हुआ है। मर्तोलिया ने कहा कि लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा पर डोकलाम विवाद का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। हर वर्ष जून से सितंबर तक आयोजित होने वाली इस यात्रा के कठिन और दुर्गम होने के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों से सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस यात्रा में प्रतिकूल हालात और खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते विभिन्न पड़ावों पर रूकते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़ना होती है। चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का काफी धार्मिक महत्व है। हिंदुओं की आस्था है कि कैलाश पर्वत भगवान शिव का वास स्थल है और उसकी परिक्रमा करने तथा मानसरोवर झील में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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Jyoti

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