आज एक मंत्र से खुलेगा कुबेर का भंडार

punjabkesari.in Friday, Apr 13, 2018 - 11:10 AM (IST)

आज भगवान शिव को समर्पित शुक्र प्रदोष व्रत है। इस रोज व्रत करने वाले जातक को वैभव, सौभाग्य और जीवनसाथी की संपन्नता प्राप्त होती है। ज्योतिष शस्त्र के अनुसार प्रदोष एक काल है अर्थात समय है। प्रदोष वो विशेष समय है जहां दिन और रात का मिलन होता है अर्थात संध्या का समय। शास्त्र अनुसार सूर्यास्त से एक चौघड़िया पहले और सूर्यास्त से एक चौघड़िया के बाद का समय गौधूलि काल कहलाता है। प्रदोष काल ही गधुली वेला का मध्य है अर्थात प्रदोष 27 मिनट का वो संधि काल है जहां दिन से रात मिलती है अर्थात सूर्यास्त से 13 मिनट और 30 सेकंड्स पहले और सूर्यास्त से 13 मिनट और 30 सेकंड्स बाद का समय। इसी संधि समय काल को मूल प्रदोष कहते है। इस 27 मिनट में सम्पूर्ण ब्रह्मांड के देव, गंधर्व, ब्रह्म-वैताल, योग्नियां एवं सर्व दिव्य शक्तियां शिवलिंग में समाहित हो जाती हैं। ये समय सभी दोषों को समाप्त कर देता है इसीलिए इसे प्रदोष कहते है।


शुक्र प्रदोष की शाम शिव मंदिर जाएं और दीप दान करें। ऐसा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन का अभाव नहीं होता। कुबेर अपना भंडार सदा खोले रखते हैं।


शाम में शिव साधना पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए। अगर आप रात्रि में शिव उपासना करते हैं तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके किया गया मंत्र जाप धन, वैभव व ऐश्वर्य की कामना को पूरी करता है। रूद्राक्ष की माला लेकर अपनी इच्छा अनुसार शिव मंत्र का जाप करें : 
 
मन्दारमालाङ्कुलितालकायै कपालमालांकितशेखराय।
दिव्याम्बरायै च दिगम्बराय नम: शिवायै च नम: शिवाय।।
श्री अखण्डानन्दबोधाय शोकसन्तापहा​रिणे।
सच्चिदानन्दस्वरूपाय शंकराय नमो नम:॥


धन-हानि हो रही हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें-
ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।


भगवान शिव जी को पंजीरी का भोग लगाएं। प्रसाद सबसे पहले गुरुजनों, बुजुर्गों, गरीबों, मित्र, परिवार में वितरित करें और अंत में स्वयं ग्रहण करें।


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Niyati Bhandari

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