जानें, इंसान कैसे पहुंचता है मृत्यु के पास

punjabkesari.in Saturday, Apr 07, 2018 - 04:11 PM (IST)

एक बादशाह ने एक दिन सपने में अपनी मौत को आते हुए देखा। उसने सपने में अपने पास खड़ी एक छाया देख, उससे पूछा, ‘‘तुम कौन हो? यहां क्यों आई हो?’’


उस छाया या साये ने उत्तर दिया, ‘‘मैं तुम्हारी मौत हूं और मैं कल सूर्यास्त होते ही तुम्हें लेने तुम्हारे पास आऊंगी।’’ 


आधी रात को ही उसने अपने सभी अकलमंद लोगों को बुलाकर पूछा, ‘‘इस सपने का क्या मतलब है? यह मुझे खोज कर बताओ।’’


उन लोगों ने बड़ी-बड़ी पोथियां उलटनी शुरू कीं और फिर उन लोगों में चर्चा-परिचर्चा के दौरान बहस छिड़ गई। बादशाह बहुत अधिक व्याकुल हो उठा क्योंकि सूरज निकलने लगा था और जिस सूर्य का उदय होता है, वह अस्त भी होता है। यात्रा शुरू हो चुकी थी और सूर्य डूबने में सिर्फ 12 घंटे बचे थे। उसने उन लोगों को टोकने की कोशिश की, लेकिन उन लोगों ने कहा, आप कृपया बाधा उत्पन्न न करें। यह एक बहुत गंभीर मसला है और हम लोग हल निकाल कर रहेंगे।’’


तभी एक बूढ़ा आदमी जिसने बादशाह की पूरी उम्र खिदमत की थी, वह उसके पास आया और उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा, यह अधिक अच्छा होगा कि आप इस स्थान से कहीं दूर भाग जाएं क्योंकि ये लोग कभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे नहीं तथा तर्क-वितर्क ही करते रहेंगे और मौत आ पहुंचेगी। मेरा आपको यही सुझाव है कि जब मौत ने आपको चेतावनी दी है तो अच्छा यही है कि कम-से-कम आप इस स्थान से कहीं दूर सभी से पीछा छुड़ाकर चले जाइए। आप कहीं भी जाइएगा, बहुत तेजी से।
यह सलाह बादशाह को अच्छी लगी। बादशाह के पास एक बहुत तेज दौडऩेवाला घोड़ा था। उसने घोड़ा मंगाकर बुद्धिमान लोगों से कहा, ‘‘मैं तो अब कहीं दूर जा रहा हूं और यदि जीवित लौटा तो तुम लोग तय कर मुझे अपना निर्णय बतलाना, पर फिलहाल तो मैं अब जा रहा हूं।’’


वह बहुत खुश-खुश जितनी तेजी से हो सकता था, घोड़े पर उड़ा चला जा रहा था क्योंकि आखिर यह जीवन और मौत का सवाल था। वह बार-बार पीछे पलटकर देखता था कि कहीं वह साया तो साथ नहीं आ रहा है लेकिन वहां सपने वाले साये का दूर-दूर तक पता न था। वह बहुत खुश था, मृत्यु पीछे नहीं आ रही थी और उससे पीछा छुड़ाकर दूर भागा जा रहा था।


अब धीरे-धीरे सूरज डूबने लगा। वह अपनी राजधानी से कई सौ मील दूर आ गया था। आखिर एक बरगद के पेड़ के नीचे उसने अपना घोड़ा रोका। घोड़े से उतरकर उसने उसे धन्यवाद देते हुए कहा, ‘‘वह तुम्हीं हो जिसने मुझे बचा लिया।’’


वह घोड़े का शुक्रिया अदा करते हुए यह कह ही रहा था कि तभी अचानक उसने उसी हाथ को महसूस किया, जिसका अनुभव उसने सपने में किया था। उसने पीछे मुड़कर देखा, वही मौत का साया वहां मौजूद था। मौत ने कहा, ‘‘मैं भी तेरे घोड़े का शुक्रिया अदा करती हूं, जो बहुत तेज दौड़ता है। मैं सारा दिन इसी बरगद के पेड़ के नीचे खड़ी तेरा इंतजार कर रही थी और मैं चिंतित थी कि तू यहां तक आ भी पाएगा या नहीं क्योंकि फासला बहुत लम्बा था लेकिन तेरा घोड़ा भी वास्तव में कोई चीज है। तू ठीक उसी वक्त पर यहां आ पहुंचा है जब तेरी जरूरत थी।’’


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Aacharya Kamal Nandlal

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