ईवीएम को लेकर लगे आरोपों पर निर्वाचन आयोग ने दिया स्पष्टीकरण
punjabkesari.in Tuesday, Apr 04, 2017 - 09:25 PM (IST)
भोपाल: मध्यप्रदेश के भिंड जिले के अटेर विधानसभा उपचुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के उपयोग को लेकर एक राजनीतिक दल द्वारा लगाए गए आरोपों के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। मंगलवार को यहां जारी सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार राजनीतिक दल ने आरोप लगाया है कि कानून के मुताबिक ईवीएम को परिणाम घोषित होने की तारीख से 45 दिन तक नहीं निकाला जा सकता, लेकिन मध्यप्रदेश के उप चुनावों के लिए ईवीएम को उत्तरप्रदेश से 11 मार्च 2017 को परिणाम घोषित होने के बाद स्थानांतरित कर बाहर ले जाया गया।
आयोग के अनुसार किसी भी चुनाव में इस्तेमाल की गई ईवीएम परिणाम घोषित होने के बाद एक स्ट्रांग-रूम में रखी जाती हैं और चुनाव याचिका दाखिल करने की अवधि समाप्त होने तक उसका उपयोग नहीं किया जाता। चुनाव याचिका 45 दिन के भीतर दर्ज की जाती है। वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल (वीवीपीएटी) मशीनों के मामले में मुद्रित पेपर स्लिप्स को गिनती के समय प्राप्त कर लिफाफों में सील किया जाता है और केवल सीलबंद पेपर स्लिप्स को ईवीएम के साथ स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। कानून के तहत वीवीपीएटी मशीनों को स्ट्रांग-रूम में रखा जाना आवश्यक नहीं है और वह किसी अन्य चुनाव में उपयोग के लिए उपलब्ध होती हैं।
उप चुनावों के लिए केवल उन्हीं वीवीपीएटी मशीन को भेजा गया, जो आरक्षित रखी गई थी और मतदान के दौरान उपयोग नहीं की गईं। चुनाव आयोग ने इस आरोप को भी बेबुनियाद बताया है कि उत्तरप्रदेश से ईवीएम भिंड में स्थानांतरित की गईं। आयोग के अनुसार मध्यप्रदेश में उप चुनावों के लिए उत्तरप्रदेश से कोई ईवीएम स्थानांतरित नहीं हुई है। भारत निर्वाचन आयोग की मौजूदा नीति के अनुसार उप चुनाव के लिए विभिन्न राज्य से वीवीपीएटी मशीन को आवश्यक संख्या में स्थानांतरित किया गया है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी चुनाव में ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों का कुछ प्रतिशत आरक्षित रखा जाता है ताकि मतदान के दिन यदि आवश्यक हो तो उन्हें बदला जा सके।
आरक्षित रखी गई ईवीएम और वीवीपीएटी भी उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों की उपस्थिति में प्रथम स्तर की जांच, रेंडोमाइजेशन और प्रतीकों की लोडिंग के कड़े प्रोटोकॉल से गुजरती हैं। इसलिए भिंड में भेजे गए वीवीपीएटी में उत्तरप्रदेश के पूर्व के प्रतीक चिन्ह लोड थे। यह एक मानक प्रोटाकॉल है और इसमें कुछ भी गलत नहीं था। आयोग के अनुसार मानक प्रोटोकॉल के अनुसार पुराने प्रतीक चिन्हों को अगले चुनाव के पूर्व पहले स्तर की जांच के दौरान मिटाया जाता है। 31 मार्च 2017 को भिंड में प्रदर्शन के समय ऐसा नहीं किया गया था।
आयोग के निर्देशानुसार कोई भी प्रशिक्षण या प्रदर्शन, पहले स्तर की जांच के पूर्ण होने पर ही शुरू किया जाता है, जो भिंड में नहीं हुआ, जिसके लिए चुनाव आयोग ने जिला निर्वाचन अधिकारी को बदला है। अटेर में वीवीपीएटी मशीन का प्रदर्शन करने के दौरान बटन दबाने पर पहली बार कमल चिह्न वाली पर्ची निकली थी। इसके बाद से चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर बवाल मचा हुआ है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल बैलेट पेपर से चुनाव की मांग कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Shukrawar Upay: कुंडली में शुक्र है कमजोर तो कर लें ये उपाय, कष्टों से मिलेगा छुटकारा
Bhalchandra Sankashti Chaturthi: आज मनाई जाएगी भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Rang Panchami: कब मनाया जाएगा रंग पंचमी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Chanakya Niti: श्मशान घाट की तरह होते हैं ऐसे घर, नहीं रहती इनमें खुशियां