Rath Yatra 2019 : नहीं जानते होंगे आप जगन्नाथ मंदिर से जुड़े ये रहस्य

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2019 - 04:13 PM (IST)

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उड़ीसा राज्य में स्थित पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो जगत के स्वामी भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। शास्त्रों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। पुराणों के अनुसार पुरी में भगवान कृष्ण ने अनेकों लीलाएं की थीं और नीलमाधव के रूप में यहां अवतरित हुए। यह मंदिर भी द्वारका की तरह उड़ीसा के समुद्र तट पर स्थित है। जगत के नाथ यहां अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। तीनों ही देव प्रतिमाएं काष्ठ यानि कि लकड़ी की बनी हुई हैं और हर बारह वर्ष बाद इन मूर्तियों को बदले जाने का विधान है। पवित्र वृक्ष की लकड़ियों से पुनः मूर्तियां बनाकर फिर से उन्हें एक बड़े आयोजन के साथ प्रतिष्ठित किया जाता है। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े कुछ खास बातों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता होगा। 
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वेदों के अनुसार भगवान हलधर ऋग्वेद स्वरूप हैं। श्री हरि सामवेद स्वरूप हैं। सुभद्रा देवी यजुर्वेद की मूर्ति हैं और सुदर्शन चक्र अथर्ववेद का स्वरूप माना गया है। 

श्री जगन्नाथ का मुख्य मंदिर वक्ररेखीय आकार का है इसके शिखर पर अष्टधातु से निर्मित विष्णु जी का सुदर्शन चक्र लगा हुआ है, जिसे नीलचक्र भी कहते हैं। दर्शन के लिए पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में चार द्वार हैं, जिनसे होकर श्रद्धालु दर्शन के लिए प्रवेश करते हैं। चारों प्रवेश द्वारों पर हनुमान जी विराजमान हैं, जोकि श्री जगन्नाथ जी के मंदिर की सदैव रक्षा करते हैं।
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मंदिर में प्रवेश से पहले दाईं तरफ आनंद बाज़ार और बाईं तरफ महाप्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर की पवित्र और विशाल रसोई है। इस रसोई में प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं। यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर ही पकाया जाता है, पर आश्चर्य की बात यह है कि इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान सबसे पहले पकता है फिर नीचे की तरफ से एक के बाद एक प्रसाद पकता जाता है। 

मंदिर के इस प्रसाद को रोज़ाना करीब 25,000 से ज़्यादा भक्त ग्रहण करते हैं। विशेष बात तो यह है कि यहां न तो प्रसाद बचता है और न ही कभी कम पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यहीं भगवान जगन्नाथ की माया है। 
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जैसे आप किसी भी मंदिर में प्रवेश करते हैं तो आपको उसके शिखर पर तमाम तरह के पक्षी बैठे और उड़ते दिखाई देते हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर के ऊपर से कभी कोई पक्षी नहीं गुजरता है और न ही बैठता है।

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मंदिर के शिखर पर लगाए जाने वाले ध्वज को प्रतिदिन बदला जाता है। आमतौर पर जहां मंदिर पर लगाया गया ध्वज जिस ओर हवा बह रही होती है, उस दिशा की ओर लहराता है, लेकिन श्री जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहराता है। इसी तरह मंदिर के शिखर पर लगा चक्र भी किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर आपको अपने सामने ही दिखाई देता है।
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पुरी में समुद्र के किनारे स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर में जब आप प्रवेश करते हैं तो भीतर जाने पर आपको समुद्र की लहरों की आवाज नहीं सुनाई देती है लेकिन जैसे ही आप मंदिर के बाहर अपने कदम रखते हैं, तो आपको समुद्री लहरों का संगीत सुनाई देने लगता है। 


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