व्रत से भी बढ़कर है ये तप, जो केवल महिलाएं कर सकती हैं

punjabkesari.in Tuesday, Jun 25, 2019 - 10:55 AM (IST)

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हिंदू शास्त्रों में बहुत सारे व्रत और उपवास बताए गए हैं। क्या आप जानते हैं इन सबसे बढ़कर है पतिव्रत धर्म। जो केवल महिलाएं कर सकती हैं और अपने सुहाग को हर परेशानी से बचा सकती हैं। रामायण का ये प्रसंग पतिव्रता महिला के तप को दर्शाता है-

PunjabKesari Importance of Pativrata dharm

मेघनाद को लक्ष्मण ने नहीं मारा उसे कोई नहीं मार सकता था उसे मारा अयोध्या में बैठी एक तपस्विनी ने, उर्मिला जी के तप ने। जब लक्ष्मण जी को शक्ति लगती है और हनुमान जी संजीवनी बूटी का पहाड़ लेकर लौटने लगते हैं, तो बीच में अयोध्या में भरत जी उन्हें राक्षस समझ कर बाण मारते हैं और वह गिर जाते हैं। तब आगे वे सभी हाल कह सुनाते हैं कि सीता माता को रावण हर के ले गया और लक्ष्मण भैया को शक्ति लग गई है। इस पर वहां ‘कौशल्या’, ‘सुमित्रा’ और ‘उर्मिला’ तीनों थीं। इतना सुनते ही सबसे पहले कौशल्या जी बोलीं यदि ऐसा है तो राम से कहना कि बिना लक्ष्मण के अयोध्या आने की कोई आवश्यकता नहीं है, राम वन में ही रहें।

इतना सुनते ही सुमित्रा बोलीं, नहीं, नहीं, राम से कहना-लक्ष्मण नहीं है तो कोई बात नहीं अभी शत्रुघ्न है, मैं उसे भेजती हूं। मेरे दोनों पुत्र उनकी सेवा के लिए जन्मे हैं। 

हनुमान जी सोचने लगे कि उर्मिला जी क्यों शांत और प्रसन्न खड़ी हैं। इन्हें अपने पति की कोई चिंता नहीं? हनुमान जी ने पूछा देवी आपकी प्रसन्नता का क्या कारण है? आपके पति के प्राण संकट में हैं, सूर्य उदित होते ही सूर्यकुल का दीपक बुझ जाएगा।

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उर्मिला जी बोलीं ‘‘ऐसा हो ही नहीं सकता क्योंकि मेरा दीपक संकट में नहीं है। वह मुझे कोई ऐसा संकेत नहीं दे रहा और रही सूर्य उदय की बात, तो आप यदि चाहें तो कुछ दिन अयोध्या में विश्राम कर सकते हैं क्योंकि कल सूर्य उदित होगा ही नहीं, मैं उसे उदित नहीं होने दूंगी। और मुझे तो पता नहीं मेरे पति कहां हैं? आप ही कह रहे हैं कि प्रभु श्री राम उन्हें अपनी गोद में लेकर बैठे हैं। यदि कोई प्रभु योगेश्वर भगवान की गोद में लेटा हो तो काल उसका क्या बिगाड़ेगा। ये तो वे दोनों लीला कर रहे हैं। मेरे पति जब से वन गए हैं तब से सोए नहीं क्योंकि उन्होंने न सोने का प्रण लिया है । इसलिए वह थोड़ी देर विश्राम कर रहे हैं जब प्रभु की गोद मिल गई तो थोड़ा विश्राम हो गया, उठ जाएंगे। और वास्तव में सूर्यदेव में भी इतनी ताकत नहीं थी कि लक्ष्मण जी के जागने से पहले वे उदित होते। क्योंकि पतिव्रता का तप उनके आगे खड़ा था। 

वास्तव में राम राज्य की नींव में जनक की बेटियां चुनी गई हैं। राम राज्य का आधार जनक जी की बेटियां हैं। कभी उर्मिला तो कभी सीता। भगवान श्रीराम जी ने राम राज्य का उदाहरण स्थापित किया है। राम राज्य यूं ही नहीं आया, इन सबके त्याग और बलिदान से आया है।    

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Niyati Bhandari

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