मां चिंतपूर्णी मंदिर न्यास के पास है 195 किलो सोना, 70 क्विंटल चांदी

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 10:49 AM (IST)

चिंतपूर्णी: भारत के सर्वाधिक मान्यता प्राप्त शक्तिपीठों में शुमार श्री माता चिंतपूर्णी मंदिर प्रशासन पर एक तरफ तो श्रद्धालुओं के लिए सुचारू शौचालय उपलब्ध न करवा पाने व मंदिर से जुड़े बाजार में ट्रेड शैड तक न बदलवाने इत्यादि मूलभूत सुविधाओं से जुडे अनेक आरोप लगते रहते हैं परन्तु दूसरी ओर यह भी वास्तविकता है कि ट्रस्ट के खजाने में श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित 195 किलो सोने की भारी मात्रा इकट्ठी हो चुकी है। इतना ही नहीं, मंदिर न्यास के पास 69.61 क्विंटल चांदी भी 31 मार्च, 2019 तक जमा हो चुकी है। इस बात की जानकारी आर.टी.आई. कार्यकता रजनीश खोसला ने जुटाई है। 

हैरानी इस बात की है कि मंदिर न्यास के पास इतनी भारी मात्रा में कीमती धातुएं विद्यमान हैं, पर इनका प्रबंधन अपने आप में कई सवाल भी खड़े करता है। इस सोने का अभी तक न तो शुद्धीकरण किया गया है और न ही इसे किसी गोल्ड बांड में जमा करवाया जा सका है जबकि प्रावधानों के अनुसार मंदिर के कुल सोने में से 20 फीसदी सोना किसी सरकारी गोल्ड बांड स्कीम में जमा करवाया जाना चाहिए। विदित हो कि हिमाचल उच्च न्यायालय द्वारा भी डी.सी. को सिविल रिट पिटीशन 603/2003 के प्रास्पैक्टिव प्लान के अंतर्गत पहले ही मंदिर का सोना किसी सरकारी गोल्ड बांड स्कीम में निवेश करने के आदेश दिए जा चुके हैं।

मंदिर को करोड़ों का वार्षिक नुक्सान

श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में अर्पित सोने के इस प्रकार के प्रबंधन में सरकारी प्रावधानों की भी अवहेलना नजर आती है। वर्ष 2011 को हिमाचल हिन्दू धार्मिक न्यास एक्ट के एक संशोधन के बाद हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में रखे आधे सोने को सिक्कों के रूप में ढाल कर श्रद्धालुओं को बेचा जाना चाहिए परन्तु धरातल पर सच्चाई कुछ और ही है। मामले का संज्ञान हिमाचल सरकार तथा हाईकोर्ट के पास लाने वाले रजनीश खोसला के विचार में इस देरी से अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों रुपए का नुक्सान हो रहा है परन्तु मंदिर प्रबंधन यह कह कर पल्ला छुड़ाना चाहता है कि सारा सोना-चांदी उपकोष में सुरक्षित है और इसके शुद्धीकरण पर सरकार गंभीर है। इस कार्य के निष्पादन हेतु एक सचिव स्तरीय कमेटी का गठन भी किया जा चुका है। इस बारे डी.सी. संदीप कुमार ने कहा कि मामला ध्यान में आया है, एग्जामिन करेंगे।
 


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