शास्त्रों में लिखी Father's Day से जुड़ी ये बात, नहीं जानते होंगे आप

punjabkesari.in Sunday, Jun 16, 2019 - 04:24 PM (IST)

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हमारे हिंदू धर्म में माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है। कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में अपने माता-पिता का ऋण नहीं उतार सकता है। आज के समय में हर इंसान को चाहिए कि वह अपने मां-बाप के लिए कुछ न कुछ ऐसा करें, जिन्हें देखकर उनके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ उठे। मां अपने बच्चों का पालन-पोषण करके उन्हें अच्छे संस्कार देती हैं, तो वहीं पिता अपने बच्चे की हर छोटी से छोटी जरूरत का ध्यान रखता है। आज दिनांक 16 जून ज्येष्ठ माह के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जा रहा है। वैसे तो सनातन धर्म में पिता का महत्व कई युगों पहले ही बता दिया था। त्रेतायुग और द्वापर युग के हिंदू धर्मग्रंथों में भी पिता-पुत्र के संबंधों को लेकर कुछ किस्से बताए गए हैं जिनकी चर्चा आज हम फादर्स डे पर करेंगे।
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महाभारत के अनुसार, भीष्म के पिता राजा शांतनु थे। जब राजा शांतनु निषाद कन्या सत्यवती पर मोहित हो गए तब वे विवाह का प्रस्ताव लेकर उसके पिता के पास गए। सत्यवती के पिता ने राजा शांतनु वचन मांगा कि उसकी पुत्री से उत्पन्न संतान ही राजा बनेगी, लेकिन तब उन्होंने मना कर दिया। जब ये बात भीष्म को पता चली तो वे सत्यवती के पिता के पास गए और वचन दिया कि वे आजीवन ब्रह्मचारी रहेंगे और सत्यवती की संतान ही राजा बनेगी। इस तरह उन्होंने अपने पिता की इच्छा पूरी की। प्रसन्न होकर राजा शांतनु ने भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान दिया।
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अयोध्या के राजा दशरथ अपने सबसे बड़े पुत्र श्रीराम से बहुत प्रेम करते थे। वे श्रीराम को राजा बनाना चाहते थे, लेकिन अपने वचन के कारण उन्हें न चाहकर भी राम को वनवास पर भेजना पड़ा। वनवास पर जाने से पहले उन्होंने श्रीराम से ये भी कहा कि तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ। श्रीराम के वनवास जाने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने पुत्र वियोग में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे।
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रामायण के अनुसार, वानरराज बाली ने मरते समय अपने पुत्र अंगद को श्रीराम को सौंपा था, जबकि बाली की मृत्यु श्रीराम के हाथों ही हुई थी। बाली जानता था कि श्रीराम ही उसके पुत्र अंगद का उद्धार करके, उसकी शक्ति का सदुपयोग कर सकते हैं। बाली की दूरदृष्टिता के कारण ही अंगद ने श्रीराम के साथ रहते हुए युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अगर बाली अंगद को श्रीराम को समर्पित नहीं करता तो संभव है वह अपनी शक्ति का सही उपयोग नहीं कर पाता।

महाभारत काल में अर्जुन भी अपने पुत्र अभिमन्यु से बहुत प्रेम करते थे। अभिमन्यु ने अर्जुन व श्रीकृष्ण से ही अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा प्राप्त की थी। युद्ध में जब कौरवों ने अभिमन्यु का वध कर दिया, तब अर्जुन ने कसम खाई कि वह अगले दिन सूर्य ढलने से पहले जयद्रथ का वध कर देगा, नहीं तो स्वयं आत्मदाह कर लेगा। अपने वचन के अनुसार अर्जुन ने अगले दिन सूर्यास्थ होने से पहले जयद्रथ का वध कर अपने पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु का बदला ले लिया था।


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