Nirjala Ekadashi Vrat : सारे साल की एकादशियों का फल देगा ये व्रत, जानें विधि

punjabkesari.in Wednesday, Jun 12, 2019 - 10:12 AM (IST)

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एकादशी यानी पक्ष का ग्यारहवां दिन। एक महीने में दो पक्ष होते हैं- शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष। हर पक्ष में एक एकादशी होती है यानी एक महीने में दो बार एकादशी आती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशी होती हैं और प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिक मास होता है जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। तब एकादशी 26 हो जाती हैं। हर एकादशी को एक नाम से जाना जाता है, उनके नाम अनुसार ही पूजा की जाती है। इनमें से ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। कहते हैं कि अगर सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लिया जाए तो सारे साल की एकादशियों के व्रत का फल मिलता है।

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जैसा कि नाम से ही पता चलता है निर्जला यानी जल के बिना। इस व्रत में ज्येष्ठ महीने की भयंकर गर्मी में व्रती को पूरा दिन जल ग्रहण करना वर्जित होता है, इसीलिए यह व्रत कठिन माना जाता है। इस व्रत को रखने से आयु व आरोग्य में वृद्धि होती है। इस व्रत में फलाहार किया जाता है व इस दिन जल-दान के रूप में लोग जगह-जगह छबीलें लगाते हैं। घड़े, सुराही, पंखे, खरबूजे आदि दान देते हैं और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। ‘ओम नमो: भगवते वासुदेवाय:’ का जाप करते हैं।

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निर्जला एकादशी व्रत की विधि:
प्रात:काल स्नान करके सूर्य देव को जल चढ़ाएं।

पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की आराधना करें।

भगवान विष्णु जी को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी अर्पित करें। 

पूरा दिन श्री विष्णु व लक्ष्मी जी का मंत्र जाप करते रहें।

किसी निर्धन को जल, वस्त्र, जूते आदि दान में दें।

‘ओम नमो: भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का मन में उच्चारण करते रहें।

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Niyati Bhandari

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