क्यों हिंदू धर्म में इतना महत्व रखता है रुद्राक्ष ?
punjabkesari.in Sunday, May 26, 2019 - 04:41 PM (IST)
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हिंदू धर्म में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है। कहते हैं कि इसे धारण करने से व्यक्ति को सकरात्मक ऊर्जा मिलती है। इसका प्रयोग केवल योगी, तपस्वी या सन्यासी ही नहीं बल्कि कोई भी आम व्यक्ति भी कर सकता है। रुद्राक्ष की माला पहनना धार्मिक महत्व रखने के साथ-साथ वैज्ञानिक रूप से भी काफी लाभप्रद है और इसको पहनने से शरीर पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं। तो चलिए बताते हैं आगे इसके बारे में विस्तार से। विद्येश्वर संहिता में बताया गया है कि रुद्राक्ष को विशेषकर भगवान शिव की पूजा में प्रयोग किया जाता है। इस संहिता में भस्म से लेकर रुद्राक्ष तक का महत्व बताया गया है। रुद्राक्ष की उत्पत्ति के बारे में ग्रंथों में लिखा है कि-
रुद्रस्य अक्षि रुद्राक्ष:, अक्ष्युपलक्षितम्अश्रु, तज्जन्य: वृक्ष:।
यानी 'रुद्र' का अर्थ शिव और 'अक्ष' का आमख अथवा आत्मा है। त्रिपुरासुर को जला कर भस्म करने के बाद भोले रुद्र का हृदय द्रवित हो उठा और उनकी आंख से आंसू टपक गए। आंसू जहां गिरे वहां 'रुद्राक्ष' का वृक्ष उग आया। रुद्राक्ष को हिंदू और विशेष रूप से शैव अत्यंत पवित्र मानते हैं। शैव, तांत्रिक रुद्राक्ष की माला पहनते हैं और उससे जप करते हैं। उपनिषद में रुद्राक्ष को 'शिव के नेत्र' कहा गया है। इन्हें धारण करने से दिन-रात में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सौ अरब गुना पुण्य प्राप्त होता है। रुद्राक्ष में हृदय सम्बन्धी विकारों को दूर करने की अद्भुत क्षमता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार रुद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुणों के कारण अद्भुत शक्ति होती है। इसकी औषधीय क्षमता विद्युत चुंबकीय प्रभाव से पैदा होती है। बताया जाता है कि रुद्राक्ष का आवेश मस्तिष्क में कुछ केमिकल्स को प्रोत्साहित करते हैं, इस प्रकार शरीर का चिकित्सकीय उपचार होता है। शायद यह भी एक कारण है कि रुद्राक्ष के शरीर से स्पर्श होने से लोग बेहतर महसूस करते हैं।
रुद्राक्ष बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है। रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से संबंधी परेशानियों में कमी आती है। ऐसा भी माना गया है कि रुद्राक्ष हृदयरोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रण में प्रभावशाली माना जाता है।