चर्चाओं के बावजूद कांग्रेस का वोट बैंक बरकरार

punjabkesari.in Saturday, May 25, 2019 - 09:15 AM (IST)

जीरा(अकालियांवाला): लोकसभा चुनाव दौरान खडूर साहिब हलके के 9 विधानसभा हलकों में से फिरोजपुर जिले के विधानसभा हलका जीरा से कांग्रेस पार्टी की वोट घटने की चर्चाएं थीं लेकिन आए नतीजों ने सबको जहां हैरान करके रख दिया, वहीं हलका विधायक कुलबीर सिंह जीरा ने अपने वोट बैंक को बरकरार रखकर विरोधी पार्टियों के मुंह बंद कर दिए क्योंकि कैप्टन सरकार के शासन दौरान जीरा हलका काफी विवादित रहा था।

 कई तरह के विरोध भी हलका विधायक विरुद्ध उठे थे लेकिन इसके बावजूद वोट बैंक का बरकरार रहना लोगों को चिंतन करने के लिए मजबूर कर रहा है।शहरी क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी का ग्राफ काफी घटा है, परन्तु ग्रामीण क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की चढ़त बरकरार रही है। उधर, अकाली दल बादल की यदि बात की जाए तो उसको यह बड़ी उम्मीद थी कि इस बार कांग्रेस पार्टी के वोट बैंक को घटाकर बढ़ौतरी दर्ज करेगा, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। इसके पीछे क्या कारण है, इसको लेकर अकाली दल के कुछ नेता काफी चिंतित भी नजर आ रहे हैं क्योंकि जिस कदर कांग्रेस पार्टी को छोड़कर लोकसभा चुनाव के  प्रचार दौरान लोग अकाली दल में शामिल हुए थे, उस मुताबिक वोट बैंक में किसी भी तरह की कोई कमी देखने को नहीं मिली। यही नहीं कुछ अकाली दल के जीरा हलके में अगली कतार वाले नेता अपने गांवों में से अकाली दल की वोटों के मामले में लाज नहीं रख सके, जिनमें गांव बोतियांवाला का नाम सामने आता है जहां अकाली दल को काफी नुक्सान पहुंचा है। 

इसी तरह नूरपुर, शाहवाला, सुक्खेवाला के अलावा कई गांवों में अकाली दल के वोट बैंक का नुक्सान हुआ है, जहां अकाली दल के कट्टर समर्थक थे। वहीं कुछ नेता जिनमें गांव घुद्दूवाला से 376 वोट बढ़ाकर पूर्व सरपंच सिमरनजीत सिंह विर्क ने अकाली दल की लाज रखी है, ने विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 100 से अधिक वोट का इजाफा दर्ज किया है।यूथ अकाली दल मक्खू के अध्यक्ष जुगराज सिंह गांव पीर मोहम्मद में से 257 तक वोटें बढ़ाने में सफल हुए हैं। सीनियर नेता पूर्व सरपंच अमीर सिंह बब्बन ने शेरपुर तख्तूवाला से भी अपनी वोट बढ़ाई है। सर्कल जीरा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह विर्क, जिन पर समय की हुकूमत ने कई तरह के मामले दर्ज करवाए थे, ने वोट बैंक में 181 तक बढ़ौतरी की है। यदि शहरी क्षेत्र की बात की जाए तो ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले अकाली दल को इसमें बड़ी राहत मिली है, जो शहरी कार्यप्रणाली पर कांग्रेस पार्टी के लिए सवाल खड़े करती है।


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