गाड़ी, बंगले और मोटे बैंक बैलेंस के लिए घर में लगाएं ये Plants

punjabkesari.in Monday, Apr 22, 2019 - 01:28 PM (IST)

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कुदरत के दिये नायाब तोहफों में से एक हैं पेड़-पौधे। ये मानव के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इससे न केवल आक्सीजन और भोजन संबंधी आवश्यकताएं पूरी होती हैं बल्कि गाड़ी, बंगला और मोटा बैंक बैलेंस भी पाया जा सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी की धन देने वाले पेड़-पौधे भी होते हैं और किस्मत पलटने वाले भी। ज्योतिष विद्वान कहते हैं की घर में खास तरह के प्लांट्स लगाने से ग्रहों की कृपा दृष्टि भी पाई जा सकती है। जिस घर में हरियाली होती है वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। आइए जानें कौन से पौधों को घर में लगाकर पूरी की जा सकती है दिल की मुरादें-  

PunjabKesariतुलसी- तुलसी में विद्युत शक्ति अधिक होती है। इससे तुलसी के पौधे के चारों ओर की 200-200 मीटर तक की हवा स्वच्छ और शुद्ध रहती है। घर में तुलसी के पौधा लगाएं और संध्याकाल में नित्य उसके सामने घी के दीपक जलाएं तो समस्त वास्तु दोषों का नाश होता है।

मीठा नीम या करी पत्ता- शनि, राहू और केतू की शुभता प्राप्त करने के लिए घर में ये पौधा लगाएं। जिस घर में ये होता है वहां बुरी शक्तियां भी प्रवेश नहीं कर पाती।

PunjabKesariआंवला- इस पौधे में श्री हरी विष्णु वास करते हैं। जहां हरी होंगे वहां लक्ष्मी तो अपने आप आ जाएंगी। जिस घर में ये पौधा होता है, वहां धन की कभी कमी नहीं रहती और ग्रह भी अपना बुरा प्रभाव नहीं दिखाते। आंवला को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं। आंवले का वृक्ष घर के पूर्व या उत्तर में लगाएं। आंवले के पौधे की पूजा करने से हर इच्छा पूरी होती है। इसकी हर रोज़ पूजा-अर्चना करने से सभी पापों का नाश हो जाता है।

आकड़ा- इस पौधे को जमीन में ही लगाना चाहिए क्योंकि ग्यारह वर्ष बाद इसकी जड़ों में गणेश जी की आकृति ऊभर आती है। सफ़ेद आकड़ा सबसे शुभ होता है। भगवान शिव और गणेश जी को इसके फूल बहुत प्रिय हैं।

पारिजात या हारसिंगार- हरिवंश पुराण के अनुसार पारिजात के वृक्ष को कल्पवृक्ष कहा गया है तथा इसकी उत्पत्ति समुन्द्र मंथन से हुई थी। अज्ञातवास भोग रहे पाण्डव माता कुंती के साथ उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिला के गांव किंटूर में आए थे जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की ताकि उनकी माता अपनी इच्छानुसार पूजा अर्चना कर सकें। श्रीकृष्ण के आदेश पर कुंति हेतु पाण्डव सत्यभामा की वाटिका से परिजात वृक्ष को ले आए थे क्योंकि इस वृक्ष के पुष्पों से माता कुंति शिव पूजन करती थीं। इस तरह से स्वर्गलोक से आया वृक्ष किंटूर गांव का हिस्सा बन गया। शास्त्रानुसार स्वर्गलोक या पृथ्वीलोक में पारिजात वृक्ष को सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है। आयुर्वेद में परिजात के वृक्ष को हारसिंगार कहा जाता है। तथा हारसिंगार अर्थात पारिजात के फूलों का लक्ष्मी व शिवपूजन में अत्यधिक महत्व है। जिस घर में ये पौधा होता है, वहां कभी बुराई ठहर नहीं पाती।

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Niyati Bhandari

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