जब भागीराम को अखबार से पता चला कि देवीलाल ने दी है ऐलनाबाद से टिकट

punjabkesari.in Friday, Apr 19, 2019 - 11:39 AM (IST)

सिरसा (स.ह.): लालों के लाल देवीलाल की एक खासियत थी कि वे किसी भी व्यक्ति को विधानसभा में पहुंचाने का माद्दा रखते थे। ऐलनाबाद से 5 बार लोकदल की टिकट पर विधायक रहे भागीराम ऐलनाबाद कस्बे में दर्जी का काम करते थे। 1977 के चुनाव में देवीलाल ने भागीराम को उम्मीदवार बना दिया। जब उनका टिकट अनाऊंस हुआ तो वह मशीन से कपड़े सिल रहे थे। उस जमाने में न तो फोन थे और न ही सूचना का दूसरा जरिया। टिकट अनाऊंस होने के अगले दिन भागीराम को अखबार के जरिए पता चला कि उन्हें ऐलनाबाद से जनता पार्टी का टिकट मिला है।

उस चुनाव में 21,769 वोट लेते हुए भागीराम ने करीब 7 हजार वोटों से जीत दर्ज की। वह ऐलनाबाद से 6 चुनाव लड़े और 5 बार जीत दर्ज की। उन्होंने जीत की हैट्रिक भी लगाई। दरअसल भागीराम के पिता पतराम देवीलाल के समर्थक थे और उनकी देवीलाल में निष्ठा थी। भागीराम ने ऐलनाबाद के सरकारी स्कूल से 8वीं पास की व10वीं की पढ़ाई प्राइवेट की। उन्होंने कभी सक्रिय सियासत में आने का ख्याल भी नहीं पाला था। पढ़ाई के बाद भागीराम ने दर्जी का काम सीखा और ऐलनाबाद शहर में ही छोटी सी दुकान कर ली।  देवीलाल की पारखी नजर ही थी कि 1977 में उन्होंने भागीराम को ऐलनाबाद से विधायक बनवाया। इसके बाद 1982 एवं 1987 में भी भागीराम ऐलनाबाद से चुनाव जीते। 1987 में वे देवीलाल सरकार में संसदीय सचिव रहे।

1991 का चुनाव भागीराम कांग्रेस के मनीराम केहरवाला से हार गए, लेकिन इसके बाद उन्होंने 1996 एवं 2000 के चुनाव लगातार जीते। 2005 में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया। 2009 में ऐलनाबाद हलका आरक्षित से सामान्य हो गया। स्वयं भागीराम ने पंजाब केसरी को बताया कि उनके पिता पतराम देवीलाल के समर्थक थे। जब उन्हें टिकट मिला तो उन्हें अगले दिन अखबार में समाचार पढ़कर इस बारे में जानकारी मिली। भागीराम ने कहा कि जब उन्हें टिकट दिया गया तो वह 32 वर्ष के थे,उन्होंने न तो कभी टिकट मांगी थी और न ही इस बारे में कभी सोचा था। 
 


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Shivam

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