गुरु बाजार लूट कांड मामले में 7 माह बाद भी पुलिस के हाथ खाली

punjabkesari.in Friday, Apr 19, 2019 - 11:33 AM (IST)

अमृतसर(सफर): बीती 15 सितम्बर 2018 को गुरु बाजार के सोना मार्कीट में प्रेम कुमार एंड संस से वांटेड गैंगस्टरों द्वारा लूटे गए 3.20 करोड़ के बारे में अभी तक अमृतसर पुलिस कुछ खास पता नहीं लगा सकी है जबकि इस लूट के 2 गैंगस्टरों तक पुलिस पहुंची जरूर। इनमें एक गैंगस्टर करण मस्ती की जुबां सदा के लिए एनकाऊंटर में बंद हो गई जबकि दूसरे गैंगस्टर रिंका के पैर में गोली लगने के बाद वह जेल जा चुका है लेकिन उसने इस बारे में जुबां नहीं खोली है। 7 महीने लूट के बाद पुलिस की राह देख रहे प्रेम कुमार ने आखिरकार अमृतसर पुलिस कमिश्रर कार्यालय पहुंच कर उनके नाम लिखे पत्र में कहा है कि कृपया करके उन्हें फाइनल अनट्रेस रिपोर्ट दिलवा दी जाए, क्योंकि लूट के बाद उनकी आॢथक कमर टूट गई है। जब तक पुलिस फाइनल अनट्रेस रिपोर्ट नहीं देती तब तक उन्हें आॢथक तौर पर बैंक वाले भी उनकी फर्म से कारोबार नहीं कर सकते। 

‘पंजाब केसरी’ से बातचीत करते हुए प्रेम कुमार कहते हैं कि सोना बाजार की सुरक्षा राम भरोसे है। हर दुकानों पर सी.सी.टी.वी. लगाने को पुलिस कहती है। लुटेरे सी.सी.टी.वी. मार्फत पहचाने जाते हैं। शहर में दनादन घूमते हैं। पुलिस क्या कर रही है। पुलिस को चाहिए कि सोना बाजार की सुरक्षा टाइट करे ताकि सोना बाजार के व्यवसायी चैन से रह सकें। प्रेम कुमार एंड संस के मालिक प्रेम कुमार के साथ गुरु बाजार के प्रमुख ज्वैलर्स राकेश सूरी, चरणजीत सिंह पुंजी, अश्विनी काले शाह, चरणजीत खुराना, नामेशाह, सविंद्र सिंह आदि मौजूद थे।

फाइनल अनट्रेस रिपोर्ट का मतलब है पुलिस की ‘हार’, गैंगस्टरों की जीत
कानून के जानकार व आर.टी.आई. एक्टिविस्ट एडवोकेट पी.सी. शर्मा कहते हैं कि पुलिस की फाइनल अनट्रेस रिपोर्ट का मतलब है कि पुलिस ने हथियार डाल दिए हैं। पुलिस की इस मामले में ‘हार’ है। वहीं अमृतसर पुलिस अगर अनट्रेस रिपोर्ट देती है तो पुलिस पर गैंगस्टरों की ‘जीत’ है। पुलिस के पास बड़ा बचाव में जांच चल रही है, यही बहाना लगाकर  पुलिस अनट्रेस रिपोर्ट देने में आनाकानी करती दिखेगी। वहीं करोड़ों की चपत खा चुका व्यापारी अनट्रेस रिपोर्ट के लिए मांगपत्र देते रहेंगे। यह मामला शहर का सबसे बड़ा मामला है। डी.जी.पी. को 30 दिनों के अंदर इस मामले को सुलझाने व लूटी गई रकम बरामद करने के आदेश देने चाहिएं क्योंकि यह मामला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने तत्कालीन डी.जी.पी. को 7 महीने पहले सौंपा था और आज भी इस मामले में अमृतसर पुलिस के हाथ सिर्फ सिफर है।


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