तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में नहीं बदली शिक्षा की तस्वीर

punjabkesari.in Friday, Apr 19, 2019 - 11:04 AM (IST)

सोनीपत (स.ह.): परिणाम यू.पी.एस.सी. का हो, ज्यूडिसरी का हो या फिर आई.आई.टी. का, ऐसा बहुत कम होता है कि टॉप 5 में 2 या 3 टॉपर हरियाणा के न हों। शिक्षा के क्षेत्र में आए दिन हरियाणा के विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर झंडे गाड़ रहे हैं, लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत ठीक इसके उलट है। तमाम दावों के बीच सरकारी स्कूलों की हालात बिगड़ती जा रही है। अब हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के अधितकर सरकारी स्कूलों में केवल वे हीं बच्चे ही दाखिला लेते हैं जिनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। हैरानी की बात यह है कि सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले प्रत्येक बच्चे पर शिक्षा विभाग की तरफ करीब 50 हजार रुपए प्रति वर्ष खर्च किया जाता है।

चुनाव लोकसभा के हों या फिर विधानसभा के, लेकिन राजकीय स्कूलों के इस गिरते हुए स्तर को कभी मुद्दा नहीं बनाया जाता। यह बात दीगर है कि इस बार आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में राजकीय स्कूलों की हालत को प्रमुखता से अपने एजैंडे में शामिल किया है, लेकिन भाजपा व कांग्रेस जैसी बड़ी पाॢटयों ने इस मुद्दे को गौण बना दिया है। गौर करने वाली बात यह है कि कभी प्रवेश उत्सव तो कभी सक्षम के नाम पर अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन इनका धरातल पर असर कम ही देखने को मिला है। हरियाणा से देश की लोकसभा में सांसद चुनकर जाने वाले ज्यादातर सांसदों ने यहां के राजकीय स्कूलों की हालत पर सवाल उठाने से गुरेज किया है। हां, विधानसभा में जरूर सरकारी स्कूलों की हालत यदा-कदा बहस का विषय रही है। राज्य सरकार से संबंधित होने के कारण राजकीय स्कूलों का मुद्दा विधानसभा में उठाना स्वाभाविक भी है, लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिला है कि किसी सांसद ने अपने राज्य के स्कूलों की हालत पर लोकसभा के जरिये प्रदेश सरकार पर दबाव बनाया हो।

ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में आधे से अधिक पद पड़े हैं खाली 
प्रदेश में कुल 14436 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें शिक्षकों के 1 लाख 18 हजार 351 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 20 हजार 675 पद खाली हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में 14736 लेक्चरर्स और हाई स्कूलों में 5939 पद मास्टरों के रिक्त हैं। करीब साढ़े तीन हजार स्कूल बिना प्रिंसिपल के ही चल रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से अधिक पद खाली हैं। इसके अलावा शिक्षकों से दूसरे कार्य लिए जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। इस कारण अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला नहीं दिलाते।

गत 4 वर्षों में 208 प्राथमिक स्कूल हो चुके हैं बंद 
गत 4 वर्षों में पूरे प्रदेश में 208 सरकारी प्राथमिक स्कूल बंद हो चुके हैं। इस दौरान केवल 23 नए सरकारी स्कूल खुले हैं। इसके विपरीत चार वर्षों में 974 नए मान्यता प्राप्त निजी स्कूल खुले। इनमें 483 प्राथमिक, 416 वरिष्ठ माध्यमिक और 75 मिडल स्कूल शामिल हैं। हालांकि इस दौरान उच्च और माध्यमिक शिक्षा को तवज्जो देते हुए 378 सरकारी स्कूलों का दर्जा बढ़ाया गया, इनमें 224 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 77 मिडल स्कूल और 77 प्राथमिक स्कूल शामिल हैं।

सरकारी योजनाओं की है भरमार, फिर भी सुधार की दरकार 
राजकीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए हरियाणा सरकार ने जोर-शोर से विद्यार्थियों को सक्षम बनाने का अभियान चला रखा है। इसके अंतर्गत प्रदेश के 115 खंडों में परीक्षाएं आयोजित कराई गई हैं। इनमें से आधे से ज्यादा खंडों को सक्षम घोषित किया जा चुका है। अकेला सोनीपत ऐसा जिला है जिसके सभी खंड सक्षम घोषित हो किए जा चुके हैं। वैसै, सक्षम अभियान कितना कारगर रहा यह तो 10वीं व 12वीं की परीक्षाओं के परिणाम से ही पता चलेगा। प्रदेश के 80 से ज्यादा खंडों के लाखों विद्याॢथयों ने 12 फरवरी को सक्षम के लिए परीक्षा दी। प्रत्येक स्कूल में एक एफआई (फील्ड इन्वीजिलेटर), एक बीएड के विद्यार्थी को स्कूल आब्जर्वर और प्रशासनिक अधिकारियों की फ्लाईंग स्कवायड गठित की गई थी। वहीं, अब सक्षम प्लस योजना भी चलाई जा रही है, जिसके तहत अंग्रेजी में भी बच्चों को सक्षम बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। 


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Shivam

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