माथे पर तिलक का और सौभाग्य का क्या है CONNECTION
punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2019 - 05:47 PM (IST)
ये नहीं देखा तो क्या देखा (VIDEO)
हिंदू धर्म से या सनातन धर्म से संबंध रखने से लोग इतना तो जानते ही होंगे कि तिलक लगाना कितना महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि तिलक लगाने की ये परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। बता दें कि मंदिर आदि में भगवान के दर्शन के बाद ईश्वर के प्रसाद के तौर पर तिलक लगाया जाता है। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे इसे लगाने के और भी कई फायदे होते हैं। इससे न केवल धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है बल्कि वैज्ञानिक पख से भी इसके कई फायदे होते हैं तो चलिए जानते हैं इससे जुड़े कुछ ऐसे तथ्य जिनके बारे में शायद आप नहीं जानते होंगे।
एकाग्रता
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साधु-संत अपनी साधना आराधना की शुरूआत करने से पहले माथे पर तिलक या त्रिपुण्ड लगाते हैं। कहा जाता है कि माथे पर आज्ञा चक्र में उपस्थित पिंड में जुड़ी सभी नाड़ियों का समूह होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मन शांत रहता है और एकाग्र होता है।
हिन्दू धर्म में ही क्यों लगाते हैं तिलक ? (VIDEO)
आत्मविश्वास
दोनों भोंहों के बीच माथे पर जहां तिलक लगाया जाता है, उसे अग्नि चक्र और थर्ड आई भाग भी कहते हैं। यहीं से व्यक्ति के शरीर में शक्ति का संचार होता है। कहते हैं यही कारण है कि महिलाएं अपने माथे पर बिंदी इसी जगह लगाती हैं। इस जगह तिलक लगाने से आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है।
समृद्धि
ज्योतिष की मानें तो अगर कोई इंसान आर्थिक परेशानी से जूझ रहा हो तो तिलक के माध्यम से मां लक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है। इसके अलावा मस्तक पर केसर का तिलक लगाने से सुख-समृद्धि बढ़ती है।
शुभता
धार्मिक दृष्टि से देखें तो माथे पर तिलक लगाने से ग्रहों से जुड़े दोष दूर होते हैं और उनके शुभ फल प्राप्त होते हैं। ज्योतिष में दिन के अनुसार स्वामी ग्रह बताए गए हैं। जिनका प्रभाव व्यक्ति के ऊपर होता है। ऐसे में अगर वार के अनुसार तिलक लगाया जाए तो उस दिन से संबंधित ग्रह के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
यहां जानें ग्रहों की शुभता पाने के लिए कौन से दिन कौन सा तिलक लगाना चाहिए-
दिन स्वामी ग्रह तिलक
सोमवार चन्द्रमा श्रीखंड, चंदन अथवा दही
मंगलवार मंगल रक्त चंदन अथवा सिंदूर
बुधवार बुध सिंदूर
गुरूवार बृहस्पति केसर, हल्दी, अथवा गोरोचन
शुक्रवार शुक्र सिंदूर अथवा रक्त चंदन
शनिवार शनि भभूत अथवा रक्त चंदन
रविवार सूर्य श्रीखंड, चंदन अथवा रक्त चंदन
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