तंत्र साधना के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है ये प्राचीन मंदिर

punjabkesari.in Sunday, Apr 14, 2019 - 05:06 PM (IST)

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हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथो में दस महाविद्याएं बताई गई हैं, जोकि काली, तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला, मातंगी और कमला देवी दूर्गा के ही दस रूप है। शास्त्रों के अनुसार जीवन में आने वाली समस्याओं जैसे कि गृह क्लेश, बीमारी, भूत-प्रेत, कोई बड़ा संकट आदि से बचने के लिए हमें रोजाना दस महाविद्याओं में से किसी एक की पूजा करनी चाहिए। इनमें से आठवी माता बगलामुखी सबसे प्रसिद्ध है। इन्हें पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। तंत्र विद्या में माता बगलामुखी की पूजा प्रमुख मानी जाती है। आइए आज हम आपको माता बगलामुखी के कुछ खास मंदिरों के बारे में बतातें हैं।
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भारत देश में बगलामुखी के तीन मंदिर है जोकि अलग-अलग जगहों में विख्यात है। जिनमें से एक हिमाचल के कागड़ा जिले में, दूसरा मध्यप्रदेश के दतिया में और तीसरा नलखेड़ा में स्थित है। 

माता बगलामुखी कांगड़ा-
बगलामुखी मंदिर कांगड़ा जिले का एक प्रमुख पर्यटन स्थल माना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां मां की पूजा करने आते हैं। ये मंदिर लाखों लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण महाभारतकाल में हुआ था। यहां देवी ने पीले वस्त्र, आभूषण और पीले रंग के पुष्पों की ही माला धारण की हैं। बगलामुखी जयंती के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है। इस दिन पूरे भारत के अलग-अलग शहरों से लोग यहां आकर हवन करवाते हैं ऐर मां की कृपा प्राप्त करते हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन यहां हवन करने से कष्टों से मुक्ति और  ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद आदि योद्धाओं ने भी मां की आराधना कर कई युद्ध लड़े थे। 
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मान्यता के अनुसार इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा एक ही रात में की गई थी। अर्जुन और भीम ने युद्ध में शक्ति प्राप्त करने के लिए इस स्थान पर माता बगलामुखी की कृपा पाने के लिए विशेष पूजा की थी। पुराने समय से ही यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। 

माता बगलामुखी नलखेड़ा-
माता बगलामुखी का यह मंदिर मध्यप्रदेश के नलखेड़ा में स्थित है। यहां विराजित तीन मुखों वाली त्रिशक्ति देवी को महारूद की महाशक्ति के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मां की मुर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। इस मंदिर में बगलामुखी के साथ हनुमान, कृष्ण, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और भैरव भी विराजमान हैं। देशभर से लोग यहां तंत्र साधना के लिए आते हैं। मान्यता के अनुसार करीब दस पीढ़ियों से पूजारी यहां तंत्र साधना करवाते आ रहे हैं। माता बगलामुखी को तंत्र की देवी माना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर की स्थापना श्री कृष्ण ने महाभारत में जीत के लिए युधिष्ठिर से करवाई थी।
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इस मंदिर की खास बात यह है कि देशभर में यही एक एेसा मंदिर है यहां बिल्वपत्र, आंवला, चंपा, नीम के पेड़ एक साथ है। एक और चौंकाने वाली बात ये है कि इस मंदिर के आस-पास शमशान घाट स्थित हैं। जिसके कारण यहां कम ही लोग आते-जाते हैं। लेकिन तंत्र साधना के लिए ज्यादातर लोग इसी जगह आते हैं।

माता बगलामुखी मंदिर, दतिया-
मध्यप्रदेश के दतिया गांव में स्थित मां बगलामुखी का मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यहां मां के दर्शन एक खिड़की से होते हैं। यहां कोई भी भक्त मां की प्रतिमा को स्पर्श नहीं कर सकता, क्योंकि यहां मां को स्पर्श करने पर पाबंदी है। यह मंदिर महाभारतकाल का है। मान्यता है कि आचार्य द्रोण के पुत्र अश्वत्थामा चिरंजीवी होने के कारण आज भी इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। लोगों का कहना है कि जो कोई भी यहां श्रद्धा से आता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। अमीर हो या गरीब मां के लिए सारे भक्त एक समान है। सच्चे दिल से जो भी कोई मां के मंदिर में आता है तो मां अपने भक्तों की पुकार कभी भी अनसुनी नहीं करती।

चूंकि मां को पीला रंग बेहद प्रसंद है इसलिए लोग मां को प्रसन्न करने के लिए पीले वस्त्र, आभुषण, प्रसाद आदि चढ़ाते हैं। यहां तक की लोग देवी की आराधना भी पीले वस्त्र धारण करके ही करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से मां जल्द ही मनोकामना पुरी करती है। भारत के कोने-कोने से लोग यहां आकर शीष झुकाते हैं। यहां आने वाले लोगों का मानना है कि इस परिसर में आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता।
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Jyoti

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